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लेखिका- Manisha Sharma

‘‘20 नंबर,’’ नीरजा ने हंस कर सवाल का सीधा जवाब देना टाल दिया.

‘‘मुझे तुम्हारे मम्मीपापा के साथ निभाने में कभी कोई प्रौब्लम नहीं आएगी. वे दोनों बहुत सीधेसच्चे इनसान हैं, नीरजा.’’

‘‘मुझे यह बात सुन कर खुशी हुई, रोहित.’’

‘‘और मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि महक के साथ मैं अपने संबंध कुछ ही दिनों में इतने अच्छे कर लूंगा कि वह मुझे तुम से ज्यादा पसंद करने लगेगी.’’

‘‘तुम्हारे इस दावे ने मेरी खुशियों को और ज्यादा बढ़ा दिया है.’’

‘‘तो फिर मुहूर्त निकलवाने के लिए पंडित से मिल लूं?’’

‘‘जल्दी का काम शैतान का,’’ नीरजा के इस जवाब पर रोहित जोर से हंसा, लेकिन उस की आंखों में उभरे हलकी मायूसी के भाव नीरजा की नजरों से छिपे नहीं रहे.

सावित्री ने खाने में कई चीजें बड़ी मेहनत से बनाई थीं. रोहित ने भरपेट खाना खाया और दिल खोल कर भोजन की तारीफ भी की.

शाम को वह सब को अपनी कार में बाजार घुमाने ले गया. वहां महक की फरमाइश पूरी करते हुए उस ने सब को आइसक्रीम खिलाई. वहां एक शो केस में लगी सुंदर सी फ्राक खरीद कर वह महक को गिफ्ट करना चाहता था, पर नीरजा ने उसे ऐसा नहीं करने दिया.

‘‘किसी दिन तुम्हारी मम्मी को छोड़ कर यहां आएंगे और खूब सारी चीजें खरीदेंगे,’’ रोहित के इस प्रस्ताव का महक ने तालियां बजा कर स्वागत किया था.

शाम को विदा होने के समय सावित्री और उमाकांत ने रोहित को ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद दिए.

‘‘रोहित अंकल, आप बहुत अच्छे हो. मेरे साथ खेलने के लिए आप जल्दी से फिर आना,’’ महक से ऐसा निमंत्रण पाने के बाद रोहित ने जब विजयी भाव से नीरजा

की तरफ देखा तो वह प्रसन्न अंदाज में मुसकरा उठी.

आगामी 3 रविवारों को लगातार रोहित इन सब से मिलने आया. उस ने बहुत कम समय में सभी के साथ मधुर संबंध बनाने में अच्छी सफलता प्राप्त की.

‘‘महक बेटे, अगर हम सब साथ रहने लगें तो कैसा रहेगा?’’ रोहित ने खेलखेल में महक से यह सवाल सब के सामने पूछा.

‘‘बहुत मजा आएगा, अंकल,’’ महक की आंखों की खुशी देख कर कोई भी यह कह सकता था कि उसे रोहित अंकल का साथ बहुत अच्छा लगने लगा है. उस दिन जब रोहित अपने घर जाने लगा तो नीरजा ने उस की तारीफ की,

‘‘मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतनी अच्छी तरह से इन तीनों के साथ घुलमिल जाओगे. महक तो तुम्हारी बहुत बड़ी प्रशंसक बन गई है.’’

‘‘अब तुम्हारे मन की सारी चिंताएं खत्म हो गईं न?’’ रोहित ने उस का हाथ अपने हाथों में ले कर पूछा.

‘‘काफी हद तक.’’

‘‘रहीसही कसर भी मैं जल्दी पूरी कर दूंगा, माई डियर. आज मैं बहुत खुश हूं. तुम्हारे साथ ढेर सारी बातें करने का मन कर रहा है. चलो, कहीं घूमने चलें.’’

‘‘कहां?’’

‘‘महत्त्व तुम्हारे साथ का है, जगह का नहीं. जहां तुम कहोगी, वहीं चलेंगे.’’

‘‘मैं तैयार हो कर आती हूं,’’ बड़े अपनेपन से रोहित का हाथ दबाने के बाद नीरजा अपने कमरे की तरफ चली गई.

अपनी मां को बाहर जाने के लिए तैयार होते देख महक साथ चलने के लिए मचल उठी. इस मामले में उस ने न अपने नानानानी की सुनी, न अपनी मां की.

‘‘महक, चलो मैं तुम्हें पहले बाहर घुमा लाता हूं. फिर तो मम्मी को मेरे साथ जाने

दोगी न?’’ रोहित ने उसे लालच दिया पर वह नहीं मानी और साथ चलने की अपनी जिद पर अड़ी रही.

‘‘अच्छा, चल. तेरे अंकल ने तुझे जो इतना ज्यादा सिर चढ़ाया हुआ है, तेरा यह जिद्दीपन उसी का नतीजा है,’’ साथ चलने के लिए नीरजा की इजाजत पा कर महक तो खुश हुई पर रोहित का चेहरा यह कह रहा था कि उस का मूड खराब हो गया.

‘‘आई एम सौरी, रोहित. अगली बार मैं पक्का तुम्हारे साथ अकेली घूमने चलूंगी,’’ ऐसा वादा कर नीरजा ने उस का मूड ठीक करने की कोशिश की.

‘‘अगली बार भी महक ऐसे ही झंझट खड़ा करेगी, नीरजा. तुम्हें आज ही उस के साथ सख्ती दिखानी थी,’’ रोहित अभी तक नाखुश नजर आ रहा था.

‘‘सख्ती तो मैं अभी भी दिखा सकती हूं, पर वह रोरो कर सारा घर सिर पर उठा लेगी.’’

‘‘तो क्या हुआ? बच्चे के रोने के डर से उसे अनुशासनहीन नहीं बनने दिया जा सकता है.’’

‘‘ओ.के. मैं ऐसा ही करती हूं,’’  नीरजा का स्वर सख्त हो गया और उस ने महक को पास बुला कर घर बैठने का हुक्म सुना दिया.

नीरजा का अंदाजा ठीक ही निकला. महक ने खूब जोरजोर से रोना शुरू कर दिया.

‘‘तुम मन कड़ा कर के निकल चलो. हम जल्द ही लौट आएंगे, पर एक बार बाहर जाना महक की सही टे्रनिंग के लिए जरूरी है,’’ रोहित की इस सलाह पर चलते हुए नीरजा अपनी बेटी को रोता छोड़ कर घर से बाहर निकल आई.

इस वक्त शाम के 5 बज रहे थे. रोहित ने किसी रेस्तरां में चल कर कौफी पीने का प्रस्ताव रखा पर बुझीबुझी सी नजर आ रही नीरजा ने इनकार कर दिया.

‘‘अभी कुछ खानेपीने का दिल नहीं कर रहा है. चलो, किसी पार्क में कुछ देर बैठते हैं,’’ नीरजा की इच्छा का आदर करते हुए रोहित ने कार एक सुंदर से पार्क के सामने रोक दी.

कुछ देर बाद खामोश और सुस्त नजर आ रही नीरजा ने परेशान लहजे में महक का जिक्र छेड़ा, ‘‘महक मुझ से बहुत ज्यादा अटैच है, रोहित. देखा, आज कितना ज्यादा रोई है वह साथ आने के लिए. समझ में नहीं आता कि आने वाले समय में यह समस्या कैसे हल होगी?’’

‘‘माई डियर, हर समस्या का समाधान मौजूद है पर इस वक्त तुम महक के बारे में सोचना बंद करो और मुझ से गप्पें मारो,’’

रोहित ने मुसकरा कर अपनी इच्छा बताई तो नीरजा के होंठों पर भी छोटी सी मुसकान उभर आई.

कुछ ही देर में रोहित नीरजा का मूड ठीक करने में सफल हो गया. पार्क में कुछ देर घूमने के बाद वे बाजार आ गए. वहां रोहित ने उसे पसंदीदा सैंट का उपहार दिया. बाद में उन्होंने एक रेस्तरां में कौफी पी. फिर घूमतेटहलते वे बातें करते रहे. उस के साथ बातें करते हुए रोहित का दिल भर ही नहीं रहा था.

तब देर होने लगी तो वे वापस चल पड़े और 9 बजे के बाद घर पहुंचे.

‘‘अब देखना, महक तुम से कितना लड़ेगी,’’ घर में घुसने से पहले तनावग्रस्त नजर आ रही नीरजा ने रोहित को आगाह किया तो वह एकदम से गंभीर हो गया.

‘‘तुम ने शाम को मुझ से जो महक वाली समस्या का हल पूछा था, उस के बारे में मेरे पास एक सुझाव है,’’ रोहित ने गेट के पास नीरजा को रोक कर यह बात कही.

‘‘किस समस्या की बात कर रहे हो?’’ नीरजा ने अपना पूरा ध्यान उसी की तरफ लगा दिया.

‘‘महक जो तुम से बहुत ज्यादा अटैच है, मैं उसी के बारे में बात कर रहा हूं.’’

‘‘हां, हां, प्लीज बताओ न कि यह समस्या कैसे हल हो सकती है. आज उसे बुरी तरह रोता देख मैं तो बहुत दुखी हो गई थी.’’

‘‘समस्या का हल तो सीधासादा है पर वह शायद तुम्हें पसंद नहीं आएगा,’’ रोहित ने गंभीर लहजे में जवाब दिया, ‘‘अगर तुम महक को सचमुच स्वावलंबी बनाना चाहती हो तो उसे होस्टल भेज दो.’’

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