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लॉकडाउन के दौरान सरकारी दफ्तर भी बंद हैं इसलिए श्रीमति वर्मा और रोहित एक दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे .  चूनाभट्टी और रचनानगर के बीच की दूरी कोई 8 किलोमीटर है , रास्ते में जगह जगह पुलिस की नाकाबंदी है जिससे इज्जतदार मध्यमवर्गीय लोग ज्यादा डरते हैं और बेवजह घरों से बाहर नहीं निकल रहे .  इससे फायदा यह है कि वे खुद को कोरोना के संकमण से बचाए हुए हैं . नुकसान यह है प्रेमी प्रेमिकाएं एक दूसरे से रूबरू मिल नहीं पा रहे . जुदाई का यह वक्त उन पति पत्नियों पर भी भारी पड़ रहा है जो एक दूसरे से दूर या अलग फंस गए हैं .

जिन्हें सहूलियत है वे तो वीडियो काल के जरिये एक दूसरे को देखते दिल का हाल बयां कर पा रहे हैं लेकिन शायद श्रीमति वर्मा और रोहित को यह सहूलियत नहीं थी और थी भी तो बहुत सीमित रही होगी क्योंकि रश्मि घर में थी .  श्रीमति वर्मा तो एक बारगी अपने बेडरूम से वीडियो काल कर भी सकतीं थीं लेकिन रोहित यह रिस्क नहीं ले सकता था . जिस प्यार या अफेयर पर दस साल से परदा पड़ा था और जो चोरी चोरी चुपके चुपके परवान चढ़ चुका था वह परदा अगर जरा सी बेसब्री में उठ जाता तो लेने के देने पड़ जाते .

लेकिन न न करते ऐसा हो ही गया . 30 अप्रेल की सुबह श्रीमति वर्मा रोहित के घर पहुँच ही गईं . कहने को तो अब कहानी में कुछ खास नहीं रह गया है लेकिन मेरी नजर में कहानी शुरू ही अब होती है . रश्मि किचिन से चाय बनाकर निकली तो उसने देखा कि रोहित एक महिला से पूरे अपनेपन और अंतरंगता से बतिया रहा है तो उसका माथा ठनक उठा . खुद पर काबू रखते उसने जब इस बात का लब्बोलुआब जानना चाहा तो सच सुनकर उसके हाथ के तोते उड़ गए .

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