‘‘तो, मैं क्या करूं?’’
‘‘मुझे बहुत घबराहट हो रही है... डर लग रहा है.’’
‘‘तुम अपने घर जाओ, रितु. मेरे पास इतना वक्त नहीं है कि मैं तुम्हे बारबार समझाती रहूं.’’
‘‘प्लीज, मैडम. मैं कुछ देर आप के साथ बैठ लूंगी, तो मेरी तबीयत संभल जाएगी.’’
‘‘सौरी. तुम अकेले ही, या मयंक के साथ मिल कर इस मसले को सुलझाओ. मुझे तंग करने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं है,’’ ममता दरवाजा बंद करना चाहती थी, पर रितु ने अचानक रोना शुरू कर दिया तो वह बहुत परेशान हो उठी.
ममता अपने पड़ोसियों की दिलचस्पी का केंद्र बन कर उन के उलटेसीधे सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी. उस ने मजबूरन जल्दी से रितु का हाथ पकड़ा और उसे ले कर ड्राइंगरूम में आ गई.
‘‘मैं मयंक को अपनी जान से भी ज्यादा चाहती हूं, मैडम. अगर हमारे रिश्ते में कभी कोई दरार पैदा हो गई, तो मैं आत्महत्या कर लूंगी. आप मेरी इस डायरी को पढ़ेंगी, तो आप को फौरन पता लग जाएगा कि मैं उन्हें कितना ज्यादा चाहती हूं,’’ सुबक रही रितु ने अपने पर्स में से निकाल कर एक डायरी ममता को पकड़ा दी.
ममता उस डायरी को नहीं पढ़ना चाहती थी, पर रितु ने हाथ जोड़ कर गुजारिश की, तो उस ने डायरी को बीचबीच में से पढ़ना शुरू कर दिया.
रितु ने अधिकतर पन्नों पर मयंक के प्रति अपने प्यार का इजहार किया था. उस के लिखे शब्दों को पढ़ कर कोई भी समझ सकता था कि वह मयंक के प्यार में पागल थी.
उस ने जो 2 दिन पहले लिखा था, उसे पढ़ कर ममता परेशान हो उठी. अगर मयंक ने उसे धोखा दिया, तो वह आत्महत्या कर लेगी, इस वाक्य को रितु ने कई बार लिखा था.
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