दरवाजा खोलने के बाद ममता अपने सामने खड़ी युवती को पहचान नहीं पाई थी. ‘‘मुझे आप ने करीब महीनेभर पहले दुलहन के वेश में देखा था, मैडम. मैं मयंक प्रजापति की पत्नी रितु हूं,’’ उस ने शरमातेमुसकराते हुए अपना परिचय दिया, तो ममता मन ही मन चौंक पड़ी.
‘‘मयंक क्या साथ में नहीं आया है?’’
‘‘नहीं, आप से मिलने मैं आज अकेली आई हूं.’’
‘‘आओ, अंदर आ जाओ,’’ अपनी आंतरिक बेचैनी को काबू में रखते हुए ममता जबरदस्ती मुसकराई और रितु का हाथ पकड़ कर उसे ड्राइंगरूम की तरफ ले चली.
ममता मयंक की बौस थी. उन के हावभाव से कुछकुछ जाहिर हो रहा था मानो उन्हें रितु का बिना पूर्व सूचना दिए यहां घर पर आना पसंद नहीं आया हो.
बहुत छोटे से औपचारिक वार्तालाप के बाद उन्होंने रितु से कुछ रूखे स्वर में पूछा, ‘‘मयंक क्यों साथ नहीं आया है?’’
‘‘उन्हें तो पता ही नहीं है कि मैं आप से मिलने आई हूं. मैं आज दोपहर से बहुत परेशान हूं, मैडम,’’ रितु अब सहज हो कर नहीं बोल पा रही थी.
‘‘क्यों...?’’
‘‘किसी ने फोन कर के मुझे जो बताया है, उस ने मेरी सुखशांति हर ली है.’’
‘‘क्या बताया है किसी ने तुम्हें फोन कर के?’’
‘‘यही कि मेरे पति मयंक और आप के बीच गलत तरह के संबंध हैं.’’
‘‘व्हाट नौनसैंस,’’ ममता एकदम से गुस्सा हो उठी, ‘‘मैं मयंक की बौस हूं, रखैल नहीं. क्या तुम ने मयंक से इस विषय पर चर्चा की है?’’
‘‘नहीं, मैडम.’’
‘‘तुम मेरे पास किसलिए आई हो? मुझ से लड़नेझगड़ने?’’ ममता ने उसे गुस्से से घूरा.
‘‘बिलकुल नहीं, मैडम,’’ रितु फौरन हड़बड़ा उठी, ‘‘मेरी मम्मी का घर आप के घर के पास है. मैं बहुत परेशान थी, सो पहले मम्मी के पास गई. उन से मिल कर मन शांत नहीं हुआ, तो आप से मिलने चली आई. आप मेरी बड़ी बहन जैसी हैं. मुझे लगा कि अगर आप समझा कर मुझे तसल्ली दे देंगी, तो मेरा मन जरूर शांत हो जाएगा.’’