अचानक आश्विनी की मौत की खबर सुन कर मैं अवाक रह गया. अभी उस की उम्र ही क्या थी, यही कोई 50 के आसपास. पता चला कि उसे लो ब्लड प्रैशर की शिकायत थी. साथ में पेट की भी समस्या थी. दिल्ली गया था डाक्टर को दिखाने. लौट कर आया तो जौनपुर एक शादी में सम्मिलित होने चला गया. भागदोैङ के कारण उस का ब्लड प्रैशर कुछ ज्यादा ही लो हो गया. इस से पहले लोग कुछ समझ पाते उस के प्राणप्रखेरू उङ चुके थे. मं कुछ पल के लिए अतीत से जुङ गया. अश्वनि ने अनुराधा से प्रेमविवाह किया था. अनुराधा के मांबाप बचपन में ही गुजर गए थे. उसे उस की नानी ने पाला.

सजातीय होने के कारण उस की शादी से किसी को ऐतराज नहीं था. नानी का खुद का बङा सा मकान था. साथ में नानी के पास जितने गहने व पैसे थे उस ने सब अनुराधा को दे दिए. उन को कोई औलाद नहीं थी, एकमात्र अनुराधा के मां के. पति का पेंशन ही उनके लिए काफी था.लिहाजा, सब रख कर करेगी क्या? अश्विनी कुछ ज्यादा खुश था. मनपसंद लङकी के अलावा करोडों की चलअचल संपति भी मिल गई. उस ने अनुराधा का मानसम्मान रखने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी.

अनुराधा ससुराल में सब की लाङली बन गई. सब उसे मान देते. उस का एक बहुत बड़ा कारण था उस का स्वभाव. भले ही मैं उस का मित्र था तो भी जब कभी उस के घर जाता वह पूरी आत्मीयता के साथ पेश आती. क्लर्क होने के बावजूद अश्विनी ने अपनी सरकारी नौकरी के अल्पकाल में ही अच्छाखासा दौलत कमाया.

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