Best Hindi Story : नाराज बाबूजी जब घर ससुर बन कर दामाद के यहां रहने चले गए तो मेघा और मेहुल लोकलाज की वजह से परेशान हो उठे. फिर मेघा ने अपने ही मायके में कुछ ऐसा नजारा देखा कि बाबूजी के प्रति अब तक रखे गए अपने उदासीन रवैए पर उसे शर्मिंदगी महसूस होने लगी. सब्जी काटती हुई मेघा के कान मेहुल की बातों की ओर लगे हुए थे. वह स्पीकर फोन से पितापुत्र की बातों को चुपचाप सुन रही थी. उस के ससुर अपनी बेटी सीमा के घर से बोल रहे थे.
मेहुल ने तल्ख शब्दों में पूछा था, ‘‘मैं आप से फिर पूछ रहा हूं पिताजी कि आप घर आ रहे हैं या नहीं. आखिर कब तक दामाद के घर पड़े रहेंगे? अपनी नहीं तो मेरी इज्जत का तो कुछ खयाल कीजिए. भला आज तक किसी ने ‘घर ससुर’ बनने की बात सुनी है. मुझे तो लगता है कि आप का दिमाग ही चल गया है जो ऐसी बातें करते हैं.’’
‘‘नहीं सुनी तो अब सुन लो, और कितनी बार कहूं कि मैं ने घर ससुर बनने का फैसला काफी सोचसमझ कर लिया है. मुझे अपने दामाद का घर ही अच्छा लग रहा है. कम से कम यहां एक प्याली चाय के लिए 10 बार कुत्ते की तरह भौंकना नहीं पड़ता. सीमा और किशोर मेरी हर बात का पूरा खयाल रखते हैं.
‘‘और सुनो, मेहुल, जब वे लोग भी मुझे बोझ समझने लगेंगे तो दिल्ली का ‘आशीर्वाद सीनियर सिटीजन्स होम’ तो है ही मुझ जैसे उपेक्षित और बोझ बन चुके बूढ़ों के लिए. इसलिए तुम लोग अब मेरी चिंता मत करो,’’ मेघा के ससुर रुद्रप्रताप सिंह बोले.
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