बैंक के जोनल औफिस पहुंचा तो पता चला जोनल मैनेजर मीटिंग में व्यस्त हैं. उन के पीए ने बताया कि लगभग 3 घंटे बाद मैडम फ्री होंगी. उन के आते ही आप के मिलने की स्लिप उन तक पहुंचा दी जाएगी. मेरे पास सिवा इंतजार करने के और कोई चारा न था, इसलिए वहीं सोफे पर बैठ गया. जोनल औफिस, मैं अपनी नियुक्ति के सिलसिले में गया था. मेरा बैंक अधिकारी से शाखा प्रबंधक के लिए प्रमोशन हुआ था. मेरी नियुक्ति मेरे शहर से काफी दूर कर दी गई थी. मैं इतनी दूर जाना नहीं चाहता था क्योंकि पत्नी का देहांत हाल ही में हुआ था और मैं बिलकुल तनहा रह गया था. नए शहर जा कर मुझे और तनहाइयों से रूबरू होना पड़ता, सो स्थानीय नियुक्ति ही चाहता था. बेटाबहू आस्ट्रेलिया में थे. वे चाहते थे कि मैं वीआरएस ले कर उन के साथ रहूं लेकिन मैं ने इनकार कर दिया. मेरी सर्विस के अभी 5 साल बाकी थे. दिन तो बैंक में कट जाता था लेकिन रात काटे नहीं कटती थी.

कुछ मित्रों ने दूसरी शादी की सलाह दी लेकिन इस के लिए मैं राजी न था क्योंकि इस उम्र में शादी के बारे में सोच कर ही शर्म सी महसूस होती थी. बेटेबहू क्या सोचेंगे? लोग क्या कहेंगे? और फिर मैं अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था, उस ने मेरा इतना साथ निभाया और अब उम्र के इस मोड़ पर शादी, मेरी नजर में यह उस के साथ विश्वासघात जैसा था. हां, कुदरती जरूरतें पूरी न हो सकने के कारण मैं जिद्दी हो गया था. कामवाली बाई को मैं बिना वजह डांट देता था. वह पासपड़ोस वालों के बीच मुझे ‘सनकी’ कहती थी. अकसर सहकर्मियों और ग्राहकों से मेरी झड़प हो जाती. वे सब मुझे पीठपीछे न जाने क्याक्या कहते रहते.

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