दीवाली पर क्या किया जाए, आजकल यही विचारविमर्श चल रहा था.
विनय एक दिन दिल्ली में अपने औफिस से लौटा तो उस की खुशी का ठिकाना न था. पत्नी रीना के कारण पूछने पर उस ने उत्साहित स्वर में बताया, ‘‘बैस्ट परफौर्मर का अवार्ड मिला है मुझे, फ्रांस स्थित हैडऔफिस में तुम्हारे साथ जाने का मौका मिल रहा है. बस, एक प्रौब्लम है कि राहुल को नहीं ले जा सकते.’’
रीना बहुत खुश हो गई थी पर प्रौब्लम सुनते ही उस का जोश ठंडा हो गया, बोली, ‘‘ओह, अब क्या करें, यह मौका तो मैं नहीं छोड़ूंगी.’’
‘‘राहुल को अपने मम्मीपापा के पास छोड़ देना. वे भी यहीं दिल्ली में ही तो हैं.’’
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‘‘नहीं विनय, मम्मी बीमार चल रही हैं. वे इसे नहीं संभाल पाएंगी. भैयाभाभी दोनों वर्किंग हैं. इसलिए इसे वहां नहीं छोड़ सकती. एक आइडिया है, लखनऊ से अपने मम्मीपापा को बुला लो दीवाली पर, वे यहीं रहेंगे तो राहुल का टाइम आसपास के बच्चों के साथ खेलने में बीत जाएगा. कंपनी भेज रही है, यह मौका छोड़ना बेवकूफी ही होगी. वाह, तो इस बार की दीवाली फ्रांस में, मैं कभी सोच नहीं सकती थी. अभी बात कर लो उन से, आने के लिए कह दो.’’
विनय ने फोन पर अपने पिता गौतम को पूरी बात बताई. उन्होंने इतना ही कहा, ‘‘देखेेंगे.’’
विनय झुंझलाया, ‘‘इस में देखना क्या है, राहुल को आप के पास छोड़ कर ही जा सकते हैं.’’
गौतम ने फोन रख कर अपनी पत्नी सुधा को पूरी बात बताई. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकरा दिए.