विराट कोहली का जीवन कितने संघर्षों से गुजरा है, यह किसी से छिपा नहीं है. फर्श से अर्श का सफर उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है. विराट कोहली के बारे में पत्रकार राजदीप सरदेसाई की किताब डेमौक्रेसी इलेवन में काफी बातें लिखी हैं.

इसमें उस घटना का भी जिक्र है, जिसने विराट को एक सीरियस क्रिकेटर के रूप में तब्दील कर दिया था. विराट अपने पिता प्रेम कोहली के बेहद करीब थे. वह एक क्रिमिनल लौयर थे, जो 9 साल के विराट को स्कूटर पर बैठाकर पहली बार वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी लेकर गए थे.

प्रेम कोहली (54) की साल 2006 में ब्रेन स्ट्रोक के कारण मौत हो गई थी. उस वक्त विराट की उम्र महज 18 साल थी और वह दिल्ली की रणजी टीम की ओर से खेल रहे थे. पहले दिन कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन बनाए थे. दूसरे दिन दिल्ली की टीम मुश्किल में पड़ गई. उसे पांच विकेट गिर चुके थे. विराट एंड कंपनी के सामने मैच बचाने की चुनौती थी.

दिन खत्म होने तक विराट कोहली और विकेट कीपर पुनीत बिष्ट की मदद से दिल्ली का स्कोर 103 रन पहुंच गया. कोहली 40 रन पर नाबाद लौटे थे. लेकिन उसी रात विराट के लिए सब कुछ बदल गया. 19 दिसंबर 2016 की रात प्रेम कोहली का निधन हो गया.

बात ड्रेसिंग रूम तक पहुंच गई थी. सबको यही लगा कि विराट यह मैच आगे नहीं खेल पाएंगे, क्योंकि उन्हें पिता के अंतिम संस्कार में जाना है. कोच ने एक अन्य खिलाड़ी को उनकी जगह उतरने के लिए कह भी दिया था.

लेकिन सब लोग उस वक्त हैरान रह गए, जब विराट कोहली अगले दिन मैदान पर उतरे और 90 रन बनाकर दिल्ली को फौलोऔन से उबारा. जिस वक्त कोहली आउट हुए दिल्ली को मैच बचाने के लिए सिर्फ 36 रनों की जरूरत थी. इसके बाद कोहली ड्रेसिंग रूम पहुंचे और कैसे आउट हुए यह देखा और फिर पिता के अंतिम संस्कार के लिए चले गए. उस रात ने विराट कोहली को एक लायक क्रिकेटर में तब्दील किया था.

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