राष्ट्रमंडल खेल 2018 में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक विजेता मनु भाकर ने महज 16 साल की उम्र में यह कारनामा कर दिखाया. हरियाणा के झज्जर जिले की इस होनहार युवती का मानना है कि सोने का तमगा जीतने से ज्यादा खुशी अपने राष्ट्रगान की धुन कानों में पड़ने से मिलती है.

मनु 12वीं कक्षा की छात्रा हैं और मैडिकल की तैयारी कर रही हैं. ऐसा नहीं है कि मनु बहुत नामीगिरामी स्कूल में पढ़ती हैं बल्कि वे साधारण स्कूल में पढ़ती हैं. मनु के पिता रामकिशन भाकर का मानना है कि अकसर अभिभावक बच्चों को महंगे स्कूलों में पढ़ाने की बात करते हैं और उन्हें लगता है कि महंगे स्कूलों में पढ़ाने से सफलता की गारंटी पक्की है पर ऐसा नहीं है. कम फीस वाले स्कूलों से भी बेहतर प्रतिभाएं निकलती हैं और मनु ने यह साबित कर दिखाया है. यह उन मातापिता के लिए भी संदेश है जिन्होंने मन में इस तरह की गलत धारणा पाल रखी है.

मनु की मां सुमेधा भी इस बात पर जोर दे कर कहती हैं कि हर बच्चे में प्रतिभा होती है. लेकिन आजकल मातापिता नंबरों की होड़ में बच्चों पर प्रैशर बनाते हैं और बच्चा अगर इंजीनियर बनना चाहता है तो उसे डाक्टर बनने के लिए कहते हैं, खिलाड़ी बनना चाहता है तो सिंगर बनने के लिए उस पर दबाव डाला जाता है. ऐसे उदाहरण आप को पासपड़ोस में मिल जाएंगे या स्वयं को ही इन उदाहरणों में पा सकते हैं. इसलिए बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए. हां, उसे सहीगलत का रास्ता दिखाएं न कि उसे उस के विरुद्ध कार्य करने के लिए कहें.

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