टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला खिलाड़ियों में शुमार कपिल देव आज (6 जनवरी) अपना 59वां जन्मदिन मना रहे हैं. आज से 59 साल पहले दुनिया को कपिल देव के रूप में ऐसा क्रिकेट खिलाड़ी मिला जिसने बतौर कप्तान, बल्लेबाज, गेंदबाज ऐसा प्रदर्शन किया कि सब देखते रह गए. यूं तो कपिल देव के नाम कई बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं, लेकिन उनकी फिटनेस का जवाब नहीं.
स्विंग गेंदबाजी, बेहद चुस्त फील्डिंग और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी ने उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन औल राउंडर और आक्रामक खिलाड़ी बनाया. मालूम हो कि कपिल देव को अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
यहां जानिए टीम इंडिया को उसका पहला विश्वकप दिलाने वाले कपिल पाजी के बारे में कुछ खास बातें –
कपिल का पूरा नाम कपिलदेव रामलाल निकंज है. कपिल 6 जनवरी 1959 में चंडीगढ़ में पैदा हुए थे. उनका परिवार 1947 में पाकिस्तान से भारत आया था. उनकी 4 बहनें और 2 भाई अविभाजित पाकिस्तान में ही पैदा हुए थे.
कपिल देव शुरुआत से ही क्रिकेट में दिलचस्पी रखते थें. 15 साल की उम्र में उन्हें एक खास क्रिकेट कैंप के लिए चुना गया जिसमें वह टैलेंटेड युवा क्रिकेटर बुलाए गए.
1975 में हरियाणा के लिए कपिल ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया और पंजाब के खिलाफ पहले ही मैच में 6 विकेट लिए. पहले ही सीजन में कपिल ने 30 मैचों में 121 विकेट ले लिए.
1977-76 में कपिल ने एक ही मैच में 10 विकेट लिए. अपने इस शानदार प्रदर्शन के चलते वह दिलीप ट्रौफी, ईरानी ट्रौफी में भी चुने गए.
1978 में पाक में हुई सीरीज के दौरान कपिल की बाउंसर्स ने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को परेशान कर दिया. सीरीज के तीसरे मैच में कपिल ने सिर्फ 33 गेंदों में हाफ सेंचुरी लगाई.
1979 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में उन्होंने 28 विकेट झटके और 212 रन भी बनाए. इसी साल कपिल ने पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज में एक ही मैच में 10 विकेट लिए. इस सीरीज के दौरान कपिल टेस्ट में 100 विकेट और 1000 रन बनाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने.
भारत के औस्ट्रेलिया दौरे के दौरान एक मैच में कपिल ने चोट के बावजूद बेहतरीन गेंदबाजी की और सिर्फ 17 ओवर में 5 विकेट लेकर भारत को मैच जिता दिया.
1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में कपिल ने 318 रन बनाए और 22 विकेट लेकर मैन औफ द सीरीज बने.
1983 के वनडे विश्वकप में भारत की कप्तानी कपिल के पास थी और टीम से किसी को ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं. जिम्बाबे के खिलाफ मैच में भारत ने 17 रन पर 5 विकेट खो दिए. लेकिन कपिल ने इसके बाद 175 रनों की यादगार पारी खेलकर न कि केवल भारत को जीत दिलाई बल्कि इतिहास भी रच दिया.
इसी विश्वकप के फाइनल में भारत की पारी सिर्फ 183 रन पर सिमट गई. वेस्टइंडीज जैसी पक्की टीम तीसरी बार विश्व कप जीतने की कगार पर थी. ऐसे में कपिल ने विव रिचर्ड्स का कैच पकड़ कर मैच का रुख बदल दिया. इसके बाद शानदार गेंदबाजी के चलते भारत ने पहला विश्वकप जीता. इस जीत ने भारतीय क्रिकेट की तस्वीर ही बदल कर रख दी थी.
1987 विश्वकप में कपिल की ईमानदारी की मिसाल दुनिया ने देखी. औस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ मैच में 268 रन बनाए लेकिन टीम ने कहा कि उनका एक शौट छक्के की जगह चौका दिया गया. भारतीय कप्तान कपिल ने ये बात मान ली और कंगारूओं का स्कोर 270 कर दिया गया. खास बात ये है कि भारतीय टीम 269 रन ही बना पाई और सिर्फ 1 रन से मैच हार गई.
1991-92 सीजन में कपिल ने कारनामा किया और टेस्ट इतिहास में 400 विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज बने. 1994 में कपिल ने क्रिकेट से जब रिटायरमेंट लिया तो उनके नाम सबसे ज्यादा 434 टेस्ट विकेट का रिकार्ड दर्ज था.
कपिल देव इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैच में 400 से ज्यादा विकेट लिए और 5 हजार से ज्यादा रन बनाए. कपिल के नाम 131 टेस्ट में 434 विकेट और 5248 रन हैं.
1999 से लेकर 2000 के बीच कपिल भारतीय क्रिकेट टीम के कोच भी रहे.
2007 में कपिल आईसीएल से बतौर चेयरमैन जुड़े. बीसीसीआई ने इसे विरोधी कदम माना और कपिल देव समेत आईसीएल से जुड़े सभी क्रिकेटरों की पेंशन बंद कर दी.
2008 में कपिल देव को सम्मान स्वरूप टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में शामिल किया गया.
सबसे बढ़कर 184 टेस्ट पारियों में बल्लेबाजी करते हुए कपिल देव कभी रन आउट नहीं हुए. हां, एक बार उन्हें जरूर टीम से निकाला गया था, जब दिसंबर 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में उन्हें ड्रौप कर दिया गया था. जिससे फैंस काफी नाराज हुए थे.
कपिल देव ने साल 1980 में रोमी भाटिया से शादी की. दोनों की एक बेटी है अमिया देव.
जल्द ही कपिल देव के जीवन पर एक फिल्म बनने वाली है, 1983 नाम की इस फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव का किरदार निभाते नजर आएंगे.