कौमनवेल्थ गेम्स के पहले ही दिन भारत ने अपना खाता खोला दिया है. वेटलिफ्टर गुरुराजा पुजारी ने गुरुवार को 56 किलोग्राम (मेंस) कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता. मलेशिया के मोहम्मद एएच इजहार अहमद ने गोल्ड अपने नाम किया. वहीं, श्रीलंका के चतुरंगा लकमल को कांस्य पदक मिला. 2014 ग्लास्गो कौमनवेल्थ गेम्स में भारत के सुखन डे ने 56 किग्रा (मेंस) कैटेगरी में गोल्ड जीता था. उन्होंने कुल 248 किग्रा का वजन उठाया था. इस बार गुरुराजा कुल 249 किग्रा का वजन उठाने के बाद भी सिल्वर मेडल ले पाए. बता दें कि गुरुराजा कर्नाटक के रहने वाले हैं और उनके पिता ट्रक चलाते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी उनके परिवार ने उन्हें वो हर चीज दिलाई, जो उनके इस गेम को बेहतर बनाने के लिए जरूरी थी.

गुरुराजा पुजारी ने टोटल 249 किग्रा का वजन उठाया

  • 25 साल के गुरुराजा पुजारी ने 56 किलोग्राम (मेंस) कैटेगरी में कुल 249 किग्रा (स्नैच में 111 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 138 किग्रा) वजन उठाया.
  • गुरुराजा ने स्नैच की पहली कोशिश में 107 किग्रा भार उठाया. फिर उन्होंने 111 किग्रा भार उठाने की कोशिश की, लेकिन फाउल कर गए. तीसरी कोशिश में उन्होंने 111 किग्रा भार उठाया.
  • इसी तरह, क्लीन एंड जर्क की पहली कोशिश में 138 किग्रा भार औप्ट किया, लेकिन फाउल कर गए. दूसरी कोशिश में भी 138 किग्रा भार औप्ट किया, लेकिन इस बार भी वह फाउल कर गए. हालांकि, तीसरी और आखिरी कोशिश में उन्होंने 138 किग्रा का वजन उठाकर सिल्वर पक्का कर लिया. इस कैटेगरी में 12 देशों ने हिस्सा लिया था.

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अब मैं ओलिंपिक की तैयारी करूंगा : गुरुराजा

  • कौमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के साथ ही गुरुराजा ने अगला लक्ष्य तय कर लिया है. अब वे 2020 टोक्यो ओलिंपिक की तैयारी में जुटेंगे. जीत के बाद उन्होंने कहा, ‘अब मैं ओलंपिक की तैयारी करूंगा. नेशनल फेडरेशन और हर उस शख्स से जो मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा, उससे मुझे बहुत सहयोग मिला है. सभी कोच मेरे प्रदर्शन में निखार लाए हैं.’
  • गुरुराजा ने बताया, ‘क्लीन एंड जर्क में जब मेरे दो प्रयास खाली चले गए, तो मेरे कोच ने याद दिलाया कि मेरी जिंदगी इस पदक पर कितनी निर्भर है. मैंने अपने परिवार और देश को याद किया.’ उन्होंने कहा, ‘2010 में जब मैंने खेलना शुरू किया, ट्रेनिंग के पहले महीने मैं बहुत हताश था, क्योंकि मुझे यही नहीं पता था कि बार को उठाया कैसे जाता है. यह मुझे बहुत कठिन लगता था.’
  • उनके अनुसार, ‘मैंने 2010 दिल्ली कौमनवेल्थ गेम्स में पहलवान सुशील कुमार को देखा था. उस समय मैंने भी रेसलिंग में अपना कैरियर शुरू करने की सोची. लेकिन जब मैं अपने कोच राजेंद्र प्रसाद से मिला तो उन्होंने मुझसे वेटलिफ्टिंग करने को कहा.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘मैं अब भी रेसलिंग इंज्वाय करता हूं. मुझे खेल से बहुत ज्यादा प्यार है.’

ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं गुरुराजा

  • गुरुराजा मूल रूप से कोस्टल कर्नाटक में कुंडूपारा के रहने वाले हैं. उनके पिता पिक-अप ट्रक ड्राइवर हैं. उन्होंने 2010 में वेटलिफ्टिंग करियर शुरू किया था. शुरू में उनके सामने कई परेशानियां आईं. डाइट और सप्लीमेंट्स के लिए पैसे की जरूरत होती थी, जो उनके पास नहीं थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें हिम्मत नहीं हारने दी. उनके परिवार में आठ लोग हैं. गुरुराजा बताते हैं कि हालांकि बाद में धीरे-धीरे चीजें बेहतर होती गईं.
  • गुरुराजा एयरफोर्स में काम करते हैं.

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एशियन गेम्स वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में जीता था गोल्ड

  • गुरुराजा पुजारी ने 2016 साउथ एशियन गेम्स में 56 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता था. तब उन्होंने कुल 241 किग्रा वजन उठाया था.
  • उन्होंने इसी साल पेनांग में कौमनवेल्थ सीनियर वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीता. उन्होंने 249 किग्रा (स्नैच में 108 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 141 किग्रा ) वजन उठाया था.

मलेशिया के इजहार ने बनाए 2 रिकौर्ड

  • मोहम्मद इजहार ने गुरुवार को कौमनवेल्थ गेम्स में दो रिकौर्ड बनाए. पहला उन्होंने टोटल वेट में रिकौर्ड बनाया. उन्होंने 261 किग्रा (स्नैच में 117 किग्रा. और क्लीन एंड जर्क में 144 किग्रा.) का वजन उठाया.
  • इससे पहले यह रिकौर्ड उनके ही देश के हमीजन अमीरुल इब्राहिम के नाम था. हमीजन ने 30 जुलाई, 2002 को मैनचेस्टर (इंग्लैंड) कौमनवेल्थ गेम्स में 260 किग्रा का वजन उठाया था.
  • इसके अलावा इजहार ने स्नैच में भी कौमनवेल्थ गेम्स का रिकौर्ड बनाया. उन्होंने स्नैच की पहली कोशिश में 114 किग्रा का और दूसरी कोशिश में 117 किग्रा वजन उठाया. तीसरी कोशिश में उन्होंने 119 किग्रा का वजन औप्ट किया, लेकिन फाउल कर गए. इससे पहले स्नैच में हमीजन अमीरुल इब्राहिम ने 2010 दिल्ली कौमनवेल्थ गेम्स में 116 किग्रा वजन उठाकर कौमनवेल्थ गेम्स का रिकौर्ड बनाया था.
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