अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों को देखते हुए वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में सरकार ने खेल बजट के लिए 2216.92 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है यानी पिछली बार के 2,002.72 करोड़ रुपए के मुकाबले इस वर्ष खेल बजट 10 फीसदी बढ़ा है.

स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया यानी साई को 55 करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए जाने की घोषणा की गई है. साई का बजट 395 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 450 करोड़ रुपए किया गया है.

खिलाडि़यों के प्रोत्साहन के लिए 63 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 89 करोड़ रुपए कर दिया गया. खिलाडि़यों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि में भी बढ़ोतरी की गई है. पिछली बार 316.93 करोड़ रुपए की राशि थी लेकिन इस बार 411 करोड़ रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है.

‘खेलो इंडिया’ राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत खेलों के विकास के लिए 50.31 करोड़ रुपए बढ़ाया गया यानी अब यह 550 करोड़ रुपए से 601 करोड़ रुपए कर दिया गया है. वहीं नैशनल स्पोर्ट्स फैडरेशन यानी एनएसएफ के पिछली बार 245.13 करोड़ रुपए के मुकाबले घटा कर इस बार फैडरेशन के लिए 245 करोड़ रुपए कर दिया गया है.

आम चुनाव के मोरचे पर फतह करने के मकसद से मोदी सरकार से अंतरिम बजट से यही उम्मीद थी. लोकलुभावन बजट में सब को थोड़ीथोड़ी रेवड़ी बांटी गई हैं. खेलों के विकास के लिए सरकार कितनी गंभीर है, यह तो दिखता है क्योंकि क्रिकेट को छोड़ हर खेल पिछड़ा हुआ है. राष्ट्रीय खेल हौकी तो बहुत पीछे छूट गया है. भारतीय फुटबौल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने भी चिंता जाहिर की है कि हम कहां खड़े हैं. हमें केवल सैफ कप जीतने पर खुश नहीं होना चाहिए. यहां पर सुनील छेत्री जमीनी बात कह रहे हैं.

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