भारत के लिए एक दशक से अधिक समय तक खेलने वाले तेज गेंदबाज अजीत अगरकर आज अपना 40वां जन्मदिन मना रहे हैं. वो बल्ले से भी अच्छी पारियां खेलने की काबिलियत रखते थे. एक समय था जब अजीत अगरकर को टीम में औलराउंडर के रूप में जाना जाने लगा था. इसकी वजह उनकी गेंदबाजी के साथ-साथ बल्ले से भी बेहतर प्रदर्शन था. एक समय अजीत अगरकर को भारतीय गेंदबाजी का अहम हिस्सा माना जाता था.

अगरकर ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. 1 अप्रैल 1998 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ कोची में वनडे करियर की शुरुआत करने वाले अगरकर ने बेहद कम समय में भारतीय टीम में अपनी जगह पक्का कर ली थी. उसी साल अगरकर ने जिम्बाब्वे के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत भी की थी. आगरकर ने 191 वनडे मैचों में 288 विकेट चटकाए हैं.

अजीत अगरकर ने जब अपने करियर की शुरुआत की, तो सभी को लगा कि यह खिलाड़ी लंबी रेस का घोड़ा है. वनडे में अगरकर ने अपना पहला मैच 1998 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला. डेब्यू के बाद लगातार 13 मैचों तक एक भी मैच ऐसा नहीं रहा जिसमें उन्हें विकेट न मिला हो. इस तूफानी रफ्तार से बढ़ रहे करियर ने कई रिकार्ड ध्वस्त किए. इस क्रम में उन्होंने आस्ट्रेलिया के डेनिस लिली के सबसे तेज 50 विकेट लेने का विश्व रिकार्ड भी तोड़ दिया. अगरकर ने यह रिकार्ड मात्र 23 मैचों में बनाया. 1998 में बनाए गए इस रिकार्ड को 2009 में श्रीलंका के अजंथा मेंडिस ने तोड़ा.

2003 में जब भारत ने 20 साल बाद आस्ट्रेलिया में टेस्ट मैच जीता, तो उस जीत में अगरकर का बहुत बड़ा योगदान था. पहली पारी में पहाड़ जैसा 556 रन बनाने वाली कंगारू टीम को दूसरी पारी में अगरकर की घातक गेंदबाजी ने मात्र 196 रन पर ढेर कर दिया था. अगरकर ने मात्र 41 रन देकर 6 विकेट चटकाए, और भारत ने यह मैच जीत गया.

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