तीन साल पहले डॉक्टरों ने कह दिया था कि भारतीय निशानेबाज प्रकाश नांजप्पा का कॅरियर अब समाप्त हो गया है. लेकिन धुन के पक्के इस निशानेबाज ने डॉक्टरों को गलत साबित करते हुए रियो तक का सफर पूरा कर लिया है और अब उनका निशाना गोल्ड मेडल पर है.

2013 में नांजप्पा के कॅरियर पर उस समय काले बादल मंडराने लगे थे, जब स्पेन के ग्रनाडा में चल रहे वर्ल्ड कप में वह लकवाग्रस्त हो गए थे. डॉक्टरों ने उन्हें चेहरे के लकवे का पीड़ित बताया था.

बतौर नांजप्पा, 'मेरे लिए सबसे डरावना पल वह था जब डॉक्टरों ने मुझसे कहा था कि मुझे निशानेबाजी करना बंद करना पड़ेगा.'

उन्होंने कहा, 'इसने मुझे वापसी करने के लिए प्रेरित किया. जब मेरे साथ यह हादसा हुआ था, जब मैं अपने चेहरे को देखता था तो मुझे यह काफी डरावना लगता था. मुझे ऐसा लगता था कि मेरा निशानेबाजी कॅरियर खत्म हो गया है.'

नांजप्पा को इससे उबरने में छह सप्ताह लगे और पिछले दो साल में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद यह 40 वर्षीय खिलाड़ी रियो ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल और 50 मीटर पिस्टल स्पर्धा में पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक हैं.

कनाडा में बस जाने के बाद कई सालों तक खेल से दूर रहे नांजप्पा ने 2009 में निशानेबाजी को गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा, 'मैं अब 40 साल का हूं, लेकिन यह सिर्फ संख्या है. इससे मेरी निशानेबाजी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला.'

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