काफी अर्से से लीवर की बीमारी से जूझने के बाद दुनिया को अलविदा कहने वाले हॉकी स्टार मोहम्मद शाहिद ड्रिबलिंग के मास्टर थे. उनके इसी हुनर के कारण भारत को 1980 के मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक मिला था.

यूं तो शाहिद ने तीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन 1980 में स्वर्ण पदक जीतनेवाली टीम का शाहिद अहम हिस्सा थे. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के बाद अगर किसी को इस खेल का पर्याय कहा गया तो वह शाहिद ही थे.

कला और संगीत के सिरमौर बनारस में मोहम्मद शाहिद ने खेल पताका फहरायी. उनके नायाब प्रदर्शन की बदौलत कुछ ही दिनों में बनारस उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, रविशंकर, किशन महाराज, सितारा देवी, गिरिजा देवी के साथ शाहिद के शहर के रूप में जाना जाने लगा.

वर्ष 1982 और 1986 में देश को एशियाई खेलों में पदक दिलाने वाले शाहिद का जन्म वर्ष 1960 में 14 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था. उन्होंने मात्र 19 वर्ष की आयु में ही वर्ष 1979 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण कर लिया था.

वे पहली बार जूनियर विश्व कप में फ्रांस के खिलाफ उतरे. इसके बाद उन्होंने मलेशिया में चार राष्ट्रों के टूर्नामेंट के दौरान वाहवाही बटोरी. शाहिद के साथ टीम के अन्य खिलाड़ी जफर इकबाल को बेहतरीन जोड़ी माना जाता था. खासतौर पर एशियाई खेलों के दौरान दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन काबिलेतारीफ रहा था.

जफर ने इस खबर पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, “मैं शाहिद के निधन की खबर से बहुत दुखी हूं. वे मेरे सबसे करीबी टीम साथी थे और हमने मिलकर कई वर्ष साथ खेला है.“

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