भारत में जन्मे अनकैप्ड बल्लेबाज़ जीत रावल को न्यूज़ीलैंड की टेस्ट टीम में चुन लिया गया है. अगस्त महीने में ज़िम्बाब्वे और साउथ अफ्रीका के खिलाफ दौरे के लिए जीत का सलेक्शन किया गया है. हरारे में दो टेस्ट और उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ डरबन और सेंचुरियन में दो टेस्टों मैचों के लिए चुनी गई 16 सदस्यी टीम में जीत अकेले नया चेहरा हैं.
बाएं हाथ के रावल ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 43.85 की औसत से रन बनाए हैं. वहीं पिछले सीजन में उनका बल्लेबाजी औसत 55.71 था. इस दौरान उन्होंने तीन शतक बनाए थे. उनकी पारी के दम पर ऑकलैंड ने प्लंकेट शील्ड टाइटल जीता था. उन्हें अपनी टीम में 'राहुल द्रविड़' के नाम से भी जाना जाता है. यह नाम उन्हें मजबूत बल्लेबाजी तकनीक के लिए दिया गया है. लेकिन रावल सौरभ गांगुली को अपना आदर्श मानते हैं.
27 वर्षीय रावल का जन्म गुजरात में हुआ और वह 2004 में न्यूजीलैंड चले गए. रावल ने गुजरात में ही क्रिकेट ककहरा सीखा. उन्होंने गुजरात के लिए अंडर-15 और अंडर-17 क्रिकेट भी खेला. रावल का कहना है कि उन्होंने अंजिक्य रहाणे, रवींद्र जाडेजा, इशांत शर्मा और पीयूष चावला के साथ काफी क्रिकेट खेला है. वह आज भी गुजरात के खिलाड़ियों मनप्रीत जुनेजा और ईश्वर चौधरी से बात करते रहते हैं. रावल पार्थिव पटेल को अपना अच्छा दोस्त बताते हैं.
रावल जब 16 साल के थे तब न्यूजीलैंड आए. शुरुआती कुछ दिनों में उन्होंने पेट्रोल पंप पर काम किया. लेकिन एक दिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का सपना पूरा करने की ठानी. पिछले साल से ही न्यूजीलैंडटीम में उनके सिलेक्शन की चर्चा होने लगी थी. न्यूजीलैंड के कोच माइक हंसेन ने कहा कि जीत प्लंकेट शील्ड में पिछले कई वर्षों से शानदार प्रदर्शन कर रहा है. पिछले 12 महीने में उसके खेल में परिपक्वता आई है. नतीजा लेने की उसकी क्षमता में भी सुधार हुआ है.
हंसेन ने आगे कहा कि न्यूजीलैंड ए के लिए खेलते हुए परिस्थितियों से अच्छी तरह सामंजस बैठा लिया है. तो हमें लगता है कि अब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए तैयार है.
जानिए, जीत रावल के बारे में कुछ दिलचस्प बातें…
गुजरात के अहमदाबाद में जीत रावल का जन्म हुआ. ऑकलैंड की तरफ से खेलने वाले रावल को लोग 'ऑकलैंड के राहुल द्रविड़' के नाम से बुलाते है. पिछले आठ सालों से वह न्यूज़ीलैंड में घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं.
2004 में जीत रावल के पिता अशोक रावल भारत छोड़कर न्यूज़ीलैंड चले गए थे और शुरुआती दौर में पेट्रोल पंप पर काम करते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. वह अपने बेटे जीत रावल को न्यूज़ीलैंड टीम में मौका दिलाना चाहते थे.
एक बार उस पेट्रोल पंप में लीन क्लब के कोच किट परेरा पेट्रोल भराने आए. अशोक रावल के काफी अनुरोध करने के बाद परेरा जीत रावल को कोचिंग देने के लिए मान गए थे. रावल के कोच परेरा का जन्म श्रीलंका में हुआ था. क्रिकेट कोच के साथ-साथ वह एक शानदार शेफ भी हैं.
शुरुआती दौर में परेरा का जीत रावल के ऊपर ज्यादा भरोसा नहीं था. उनको लग नहीं रहा था कि जीत रावल एक अच्छे क्रिकेटर बन पाएंगे, लेकिन जीत की शानदार बल्लेबाजी को देखते हुए परेरा को यह एहसास हुआ था कि जीत रावल एक अच्छे क्रिकेटर बन सकते हैं.
जीत रावल ने कॉमर्स में डिग्री हासिल की है और अकाउंटेंट बनना चाहते थे. रावल अंग्रेजी में काफी कमज़ोर थे और शुरुआत के दौर में न्यूज़ीलैंड के कॉलेजों में उन्हें एडजस्ट करने में काफी मुश्किल हुई थी.
रावल ने अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच 5 दिसंबर 2008 को वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेला था और इस मैच में रावल सिर्फ 31 रन बना पाए थे. गेंदबाज़ी करने का उन्हें मौका नहीं मिला था.
करियर के दूसरे घरेलू प्रथम श्रेणी मैच में रावल ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था. इस मैच में रावल ने शानदार 256 रन की पारी खेली थी. इस पारी को देखने के बाद जीत रावल के कोच किट परेरा को लग गया था कि एक दिन रावल को न्यूज़ीलैंड टीम में मौका मिलेगा.
जीत रावल घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन करते आ रहे हैं. अच्छे प्रदर्शन के बावजूद भी न्यूज़ीलैंड टीम में मौके के लिए उन्हें काफी इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन पिछली 10 पारी में शानदार प्रदर्शन की वजह से जीत को टीम में जगह मिली है.
पिछली 10 प्रथम श्रेणी पारियों में जीत रावल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए करीब 75 की औसत से 677 रन बनाए हैं, जिसमें तीन शतक और एक अर्धशतक शामिल है. 20 फरवरी 2016 को ऑकलैंड की तरफ से खेलते हुए जीत ने ओटागो के खिलाफ़ दूसरी पारी में शानदार 202 रनों की नाबाद पारी खेली थी.
जीत रावल न्यूज़ीलैंड की तरफ से 67 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके हैं और करीब 44 की औसत से 4,912 रन बना चुके हैं, जिसमें 14 शतक शामिल हैं. रावल ने 30 मार्च को ऑकलैंड की तरफ से अपना आखिरी प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के खिलाफ पहली पारी में शानदार 147 रन भी बनाए थे.