भारतीय महिला क्रिकेट टीम के पाकिस्तान के साथ एक अगस्त से 31 अक्‍टूबर तक द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलने के कारण छह अंक काट दिए जाने से भारतीय क्रिकेट बोर्ड के शशांक मनोहर की अगुवाई वाली आईसीसी के साथ संबंध और कड़वे हो गए हैं. महिला क्रिकेटरों को नियमों का हवाला देकर ‘आसान निशाना’ बनाए जाने के विरोध में संभावना है कि भारत की पुरुष टीम अगले साल इंग्लैंड में होने वाली चैंपियन्स ट्रॉफी में नहीं खेले.

आईसीसी के रवैये से बीसीसीआई नाराज है और और उसने इस वैश्विक संस्था में विरोध दर्ज कराया जो इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी द्विपक्षीय सीरीज के लिए सरकर की मंजूरी जरूरी होती है. आईसीसी के भारतीय चेयरमैन इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं.

बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘आईसीसी इससे अच्छी तरह वाकिफ है कि वर्तमान परिस्थितियों में जबकि भारतीय सैनिक शहीद हो रहे हैं तब पाकिस्तान के खिलाफ खेलना संभव नहीं है. चेयरमैन को अच्छी तरह से पता है कि हमारे लिये सरकार से मंजूरी लेना जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘गुप्त मकसद से उठाया गया यह कदम पाकिस्तान के हाथों में खेलने की कोशिश है. वे कहेंगे कि यदि महिला खेल सकती है तो पुरुष टीम भी खेल सकती है. यदि आईसीसी ने अपना फैसला नहीं बदला तो हमारी पुरुष टीम भी महिला टीम के साथ है और वे चैंपियन्स ट्रॉफी में नहीं खेलेगी.’

इसमें कहा गया है, ‘इन मैचों का आयोजन एक अगस्त से 31 अक्तूबर 2016 के बीच होना था लेकिन इनका औपचारिक कार्यक्रम तैयार नहीं किया गया था और आखिर में इनका आयोजन नहीं हुआ और तकनीकी समिति ने फैसला दिया कि आईसीसी महिला चैंपियनशिप के नियमों के अनुसार पाकिस्तान को तीन में से प्रत्येक मैच के लिए दो अंक मिलेंगे जबकि 50 ओवरों के इन प्रत्येक मैच के लिए भारत के शून्य अंक होंगे और इसी हिसाब से इसका नेट रन रेट भी समायोजित किया जाएगा.’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...