सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के लिए चार सदस्यीय प्रशासनिक समिति का गठन कर दिया है. पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय चार सदस्यीय प्रशासकों के उस दल की अगुवाई करेंगे जो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का संचालन करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राय के अलावा मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी के प्रबंध निदेशक विक्रम लिमये और पूर्व महिला क्रिकेटर डायना एडुलजी को भी इसमें स्थान मिला है.
जानिए इन प्रशासकों के बारे में.
विनोद राय
1972 बैच के केरला कैडर से आईएएस विनोद राय 2008 से लेकर 2013 तक नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) के प्रमुख रहे हैं. साल 2016 में भारत सरकार ने उन्हें सिविल सर्विस में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया. वर्तमान में वह संयुक्त राष्ट्र के एक्सटर्नल ऑडिटर्स पैनल के अध्यक्ष हैं.
इसके अलावा वह रेलवे की काया कल्प परिषद के अवैतनिक सलाहकार भी हैं. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में जन्मे राय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि लेने के बाद उन्होंने लोक प्रशासन में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से मास्टर की डिग्री हासिल की.
रामचंद्र गुहा
58 वर्षीय रामचंद्र गुहा प्रसिद्ध इतिहासकार हैं. गांधी बिफोर इंडिया और इंडिया आफ्टर गांधी उनकी चर्चित रचनाए हैं. पर्यावरण, समाज, राजनीति जैसे विषयों में उन्होंने काफी शोध किया है. क्रिकेट प्रशासकों की सूची में उनका नाम देखकर कुछ लोगों ने हैरानी जताई, लेकिन वास्तविकता यह है कि गुहा क्रिकेट के भी जानकार हैं. बताया जाता है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट पर वह बारीक नजर रखते हैं. क्रिकेट के इतिहास पर भी उनकी जानकारी बहुत समृद्ध है. देहरादून में जन्मे गुहा देश के जानेमाने स्तंभकार भी हैं. 2009 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान दिया गया. 2011 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से नवाजे गए.
डायना इदुल्जी
61 वर्षीय डायना इदुल्जी सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित बीसीसीआई प्रशासनिक समिति में एकमात्र क्रिकेटर हैं. वह भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान हैं. 1976 में वह टीम इंडिया के लिए चुनी गईं. भारत की ओर से वह 20 टेस्ट और 34 वनडे टीम में शामिल रहीं. बाएं हाथ से गेंदबाजी करने वाली डायना ने टेस्ट मैचों में भारत की ओर से सर्वाधिक 63 विकेट झटके. इसके अलावा वह इंडियन रेलवे और नैशनल टीम की ओर से भी खेल चुकी हैं. उन्हें 1983 में अर्जुन अवॉर्ड और 2002 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. शांता रंगास्वामी के साथ वह देश की महिला क्रिकेटर्स के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा मानी जाती हैं.
विक्रम लिमये
विक्रम लिमये आईडीएफसी के एमडी हैं. बीसीसीआई प्रशासनिक समिति सदस्य के रूप में वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करेंगे. लिमये आर्थिक मामलों के जानकार हैं. सीए की पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1987 में अर्थर एंडरसेन के साथ की. 1994 में एमबीए के लिए अमेरिका जाने से पहले उन्होंने सिटी बैंक को भी अपनी सेवा दी. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिका के शेयर मार्केट में 8 साल तक काम किया. 2004 में वह मुंबई वापस आए. वह सरकार की ओर से गठित कई समितियों में शामिल रहे हैं.
प्रशासकों की नियुक्ति मामले में जुड़ी खास बातें…
1. सुप्रीम कोर्ट ने 24 जनवरी को बीसीसीआई से प्रशासक के लिए नाम सुझाने को कहा था. एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और एडवोकेट अनिल दीवान की ओर से सुझाए गए 9 नामों को बहुत अधिक मानते हुए कोर्ट ने 4 सदस्यी टीम की समिति गठित करने का निर्देश दिया था.
2. अपनी नियुक्ति पर पूर्व कैग विनोद राय ने कहा, 'मुझें लगता है कि मेरी भूमिका नाइट वॉचमैन की होगी जिसका काम सुचारू संचालन सुनिश्चित करना होगा.' उन्होंने कहा कि ‘मेरे पास बीसीसीआई में काम करने का अनुभव नहीं है लेकिन मैं क्रिकेट के खेल का दीवाना हूं.’
3. इस मामले की सुनवाई उस समय 30 जनवरी तक टाल दी गई थी जब बीसीसीआई और केंद्र ने दलील दी थी कि उन्हें भी सीलबंद लिफाफे में नाम देने की इजाजत दी जाए.
4. जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाय चंद्रचूड़ की बेंच ने बीसीसीआई को आईसीसी की बैठक का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपने उन पदाधिकारियों में से तीन नाम चुनने को कहा था जो अभी ऑफिस संभालने की योग्यता रखते हैं.
5. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बीसीसीआई के लिए प्रशासक की नियुक्ति का विरोध किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम और दीवान की ओर से सुझाए नाम को अंतिम रूप देने का फैस्ला टालने का आग्रह किया था.
6. यूनिवर्सिटीज, रेलवे और सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए अटॉर्नी जनरल ने 18 जुलाई 2016 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को भी वापस लेने को कहा था जिसमें बीसीसीआई को लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने आग्रह किया था की सरकारी अधिकारियों को इन संस्थाओं के ऑफिस संभालने की इजाजत दी गई और इन्हें वोटिंग राइट भी मिले.
7. शीर्ष अदालत ने इस बात की पुष्टि की थी कि सौंपे गए नौ नामों में कुछ पूर्व क्रिकेटरों के नाम भी हैं, हालांकि इन नामों का खुलासा नहीं किया गया था.
8. सुप्रीम कोर्ट ने दो जनवरी को अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई प्रमुख पद से हटाने का आदेश दिया था. इसके साथ ही बोर्ड सचिव अजय शिर्के को भी हटाया गया था. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि लोढ़ा पैनल की सिफारिशों लागू की जानी चाहिए.
9. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी के अपने आदेश में यह साफ किया था कि राज्य एसोसिएशनों और बीसीसीआई में पदाधिकारी के तौर पर नौ वर्ष के कार्यकाल को एक साथ नहीं गिना जाएगा यानी वे राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई में अलग-अलग नौ-नौ साल का कार्यकाल कर सकते हैं.
10. जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुवाई में तीन सदस्यीय लोढ़ा पैनल को सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2015 में नियुक्त किया था और इसे बीसीसीआई की कार्यप्रणाली और सुधारों के बारे में सिफारिशें देनी थीं.