Zakir Khan : जाकिर खान की कामेडी हर चीज को रोमेंटिसाइज करती है. जैसे स्ट्रगल, गरीबी, प्यार, बिछड़ना, परिवार या रिश्ते, जो उन्हें रियलिस्टिक कम बनाती हैं. वे उन्हीं चीजों पर कामेडी करते हैं जिस में वे सहज होते हैं या उन के सुनने वाले. बिना किसी होहल्ले और शोरशराबे के जाकिर कैसे बने भारत के नंबर वन कामेडियन, जानें?

17 अगस्त 2025 की रात. न्यूयौर्क का मैडिसन स्क्वायर गार्डन. एक ऐसा स्टेज जो पहले ‘द बीटल्स’, ‘लेजेंड्री मुक्काबाज मुहम्मद अली’, ‘माइकल जैक्सन’ और हौलीवुड सितारों के नाम रहा है. लेकिन इस बार कुछ अलग था. तेज रौशनी में, भीड़ के सामने, स्टेज के बीचोंबीच खड़ा था एक इंडियन स्टैंडअप कामेडियन, जो अपने देसी अंदाज और अपनी हिंदी भाषा में ठहाके बिखेर रहा था, नाम था जाकिर खान.

यह सिर्फ एक शो नहीं था. यह उस युवा का सपना था, जो कभी इंदौर की तंग गलियों में अपने दोस्तों के साथ मजाक कर, दिल की फीलिंग्स को शेर-ओ-शायरी में ढालते रहता था. उस रात, तालियों की गूंज और कैमरों की चमक में, जाकिर ने अपनी मांपिता को वीडियो कौल पर जो पल दिखाया, वो उस गर्व लिए था जो हर मांपिता अपने बच्चे में देखना चाहते हैं. यह वो पल था जब न केवल इंडियन स्टैंडअप को, बल्कि भारत की उस मिडिल क्लास कहानी को, जिस ने हमेशा सपने देखने की हिम्मत रखी, ग्लोबल स्टेज पर जगह मिल चुकी थी.

जाकिर खान की जिंदगी को ऐसे किसी एक रात से सीमित नहीं किया जा सकता. उन का पूरा सफर इंदौर की उन आम सी गलियों की खुशबू से ले कर अमेरिका की सब से महंगी स्ट्रीट में वहां के दर्शकों को हंसाने तक की कहानी बन गई.

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