UPSC : इस बात की क्या गारंटी है कि 1 साल हाड़तोड़ मेहनत कर हर ऐस्पिरेंट्स आईएएस क्लियर कर ही लेगा, जबकि सीटें ही मुश्किल से 1000 निकलती हैं? जाने कितने ही स्टूडैंट्स इस उम्मीद में सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं कि उस एक सीट पर उन का नाम लिखा है. इस उम्मीद को मोटिवेशन के नाम पर हवाई पंख देते हैं एजुकेशनल स्पीकर्स जो बड़ीबड़ी कौचिंग संस्थान चला रहे हैं. जाने इस मोटिवेशन के पीछे क्या है अंदर का खेल.
अगर किसी गरीब का बेटा या बेटी यूपीएससी क्लियर करता है तो इसे गाजेबाजे से प्रचारित किया जाता है. किया भी जाना चाहिए क्योंकि यह इतना आसान नहीं. मसलन, इस तरह के अपवादों को लच्छेदार सपने बना कर गरीबों पर थोपना कितना जायज है?
भारत में अब हर दूसरा इन्फ्लुएंसर मोटिवेशनल स्पीकर बन चुका है. इस में अब बड़ेबड़े कौचिंग खोलने वाले व छात्रों से मोटी फीस ले करोड़ों का बिसनेस खड़ा करने वाले टीचर्स का नाम भी जुड़ गया है.
“आप अपनी जिंदगी को 1 साल नहीं दे सकते? अगर आप की उम्र 22 साल है और आप ने 1 साल खुद को दे दिया आईएएस की तैयारी के लिए, आप 23 साल में आईएएस बन गए तो 77 साल की जिंदगी सेफ. 22 साल कट गए तो 1 साल नहीं कटेगा. वो महावीर पागल हैं. जंगल में जा कर तैयारी कर रहे थे बुद्ध, राम, कृष्ण भी कर रहे थे, वे भगवान बनने की तैयारी कर रहे थे, आप आईएएस बनने की कर रहे हैं.”
ये लाइनें कुछकुछ नेटवर्क मार्केटिंग जैसी नहीं लगतीं, कि 1 साल बस जीजान लगा कर मेहनत कर लो अगले साल डायमंड बनोगे तो घर के बाहर बीएमडब्ल्यू खड़ी होगी? मगर ये नेटवर्क मार्केटिंग के एजेंट के बोल नहीं बल्कि अवध ओझा क्लासेस के मालिक व फेमस टीचर अवध ओझा के हैं.
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