2014 के लोकसभा चुनाव से सोशल मीडिया चुनावी तैयारियों का एक हिस्सा बन गई है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सोशल मीडिया विभाग का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए प्रदेश स्तर की मीटिंग की, जिस में यह तय किया गया कि पार्टी सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करने के लिए इस को ब्लौक और बूथ स्तर तक विस्तार करेगी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश सोशल मीडिया विभाग की अध्यक्ष पंखुड़ी पाठक ने हिस्सा लिया.
मीटिंग में कार्यकर्ताओं को यह समझाया गया कि ’हर जिले में होने वाली छोटीबड़ी घटनाओं की तत्काल जानकारी प्रदेश स्तर के नेताओं को दी जाए. इस के बाद जिस तरह के दिशानिर्देश दिए जाएं उस के हिसाब से काम किया जाए.’ कार्यकर्ताओं को यह भी बताया गया कि अगर किसी विरोधी दल द्वारा इमेज खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर कोई गतिविधि की जाती है तो उस का सही तथ्य सामने रखना है.
अतीत से सीखी कांग्रेस
दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है. 2014 के लोकसभा चुनाव से सोशल मीडिया का प्रयोग करने में कांग्रेस भाजपा के मुकाबले पिछड़ गई थी. इस का खामियाजा उस को बाद के चुनाव में भुगतना पड़ा. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने सोशल मीडिया का पूरा उपयोग किया, जिस का लाभ भी उन को मिला. इस के बाद कांग्रेस ने अपनी सोशल मीडिया टीम को मजबूत करना शुरू किया जिस से वह तथ्यों को सही तरीके से रख सके.
‘आलू से सोना बनाने की मशीन’ वाला बयान कांटछाट कर जिस से राहुल का बयान बता कर प्रचारित किया गया वैसा दोबारा न हो इस के लिए कांग्रेस तैयार है. सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से भाजपा का विरोध चल रहा है. ऐसे में उसे पहले जैसा समर्थन नहीं मिल रहा है. जो भाजपा के लिए डर वाली बात है. भाजपा नेताओं के तरहतरह के मीम्स बन रहे हैं. उन के बयानो पर कटाक्ष हो रहे हैं. युवा वर्ग नौकरी मांग रहा है. यह सारे सवाल भाजपा को परेशान कर रहे हैं. कांग्रेस नेता नीलम वैश्य सिंह कहती हैं कि सोशल मीडिया पर इस तरह की मीटिंग से कार्यकर्ताओं को अच्छी जानकारियां मिली.
डीपफेक का डर
सोशल मीडिया पर डर का एक प्रमुख कारण ‘डीपफेक’ हो गया है. यह एआई सिस्टम से तैयार होता है. यह इतना सटीक होता है कि सहीगलत का भेद कर पाना मुश्किल होता है. अभी तक इस के दायरे में फिल्मों की हीरोइनें रही हैं. वीडियो में चेहरा हीरोइन का होता है और बाकी गतिविधियां किसी और की. डीपफेक वीडियो देखने वाले को यह लगता है कि यह वीडियो उसी हीरोइन का है. इस में सहीगलत का अंतर कर पाना साधारण लोगों के लिए संभव नहीं हो पाता है.
कैटरीना कैफ, रश्मिका मंदाना के बाद आलिया भट्ट के ऐसे वीडियो आ चुके हैं. राजनीतिक हस्तियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो वायरल हो चुका है जिस में वह गरबा डांस करते नजर आ रहे हैं. इस को नरेंद्र मोदी के चाहने वाले भी समझ नहीं पाए कि यह फेक है. यह उन लोगों ने भी एकदूसरे को खूब भेजा. इस का खंडन पीएमओ की तरफ से आया और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस को बताया. इस के बाद केंद्र सरकार कानून भी बनाने जा रही है.
सोशल मीडिया के जानकार मानते हैं कि एआई टैक्नोलौजी से बनने वाले यह वीडियो समाज के लिए बेहद खतरनाक है. इन को ले कर जागरूकता जरूरी है. इन का प्रयोग कर के चुनावी माहौल को बिगाड़ा जा सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल चिंता में हैं. चिंता का सब से बड़ा कारण यह भी है कि सोशल मीडिया कुत्तों के ऐसे झुंड की तरह है कि जिस पर झपट पड़े उस को नोंच ही डालती है.
सोशल मीडिया पर एक बात जो वायरल हो गई वह सच हो या झूठ इस की सफाई न कोई सुनता है न समझता है. तमाम ऐसे उदाहरण हैं जो गलत हैं पर लोग आज भी उन को सच मान रहे हैं इसलिए राजनीतिक दलों का डर और तैयारी जायज है. सोशल मीडिया इमेज को खराब करने में सब से आगे है.