जब त्योहारों का नाम आता है तो हमारे दिमाग में आती है दीवाली, दशहरा, होली या रक्षाबंधन. इन त्योहारों की हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार मान्यता होने के साथसाथ इन्हें सांस्कृतिक होने का दर्जा प्राप्त है. लेकिन, वैलेंटाइन डे ऐसा दिन है जिसे सालों से अश्लीलता फैलाने का जरिया बता कर बदनाम किया जाता रहा है. वैलेंटाइन डे वह दिन है जिसे असांस्कृतिक व असभ्य घोषित करने की जद्दोजेहद भगवाधारी, ब्राह्मण वर्ग, दक्षिणपंथी यानी राइट विंग और धर्म की पैरवी करने वाले सालों से करते आ रहे हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि यह दिन भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. यदि कपल्स सार्वजनिक जगह पर हाथ पकड़े बैठे हैं, एकदूसरे को गले लगा रहे हैं तो लोग उन्हें अश्लील बोलते हैं. लेकिन, उन लोगों से कोई यह क्यों नहीं पूछता कि हिंदू धर्म के अनुसार विष्णु, इंद्र, व्यास द्वारा जब दूसरे की पत्नियों से उन की मरजी के बिना संबंध बनाया जा रहा था, तो क्या उस में अश्लीलता नहीं थी? उन्हें सिरमाथे लगाना और जब वही काम मानुष करे तो लातघूंसे बरसाना कहां की रवायत है?

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वैलेंटाइन डे को प्यार का दिन कहा जाता है. इस दिन प्रेमी एकदूसरे से मिल कर अपने प्यार का इजहार करते हैं, तोहफे देते हैं, साथ घूमतेफिरते हैं और वक्त बिताते हैं. यह साल का एकलौता ऐसा दिन है जो प्रेमियों के लिए खास होता है. वे इस दिन का महीनों पहले से इंतजार करते हैं. परंतु सिर्फ वे ही नहीं हैं जिन्हें इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है, बजरंग दल, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, श्रीराम सेना, कर्णी सेना और शिवसेना जैसे कितने ही दल हैं जो इस दिन इंतजार करते हैं लेकिन ये प्रेम के दीवानों को मारनेपीटने, डरानेधमकाने, राखी बंधवाने आदि का काम करते हैं. इन संगठनों से जुडे़ लोग वैलेंटाइन डे पर बैन लगाने का नारा लगाते हैं, इस दिन किसी भी लड़केलड़की को वे हाथ पकड़े भी देख लें तो उस की पिटाई कर देते हैं.

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