सोशल मीडिया पर एक रील बहुत वायरल है. स्कूटी से जा रही दो लड़कियां सड़क पर जा रही है. एक दीवार पर पेशाब करता युवक दिखता है. लड़कियां स्कूटी रोक कर उस से पूछती है ‘भैया टौयलेट किधर है ?’ वह युवक सड़क के दूसरी तरफ हाथ से इशारा कर देता है. लड़कियां कहती हैं ‘जब पता है तो यहां पेशाब क्यों कर रहा है ?’
दिल्ली के जनपथ मार्केट की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी जनपथ मार्केट बनाने का काम 1975 में शुरू किया गया. हजरतगंज से जुड़ा होने के कारण इस का एक अलग महत्व था. इस में करीब 300 दुकाने हैं. ऊपरी मंजिल पर सरकारी औफिस है. जिस समय यह जनपथ मार्केट बना उसी समय इस में 4 टौयलेट बनाए गए. 2 महिलाओं के लिए 2 पुरूषों के लिए. 50 सालों में ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इस के बाद भी यहां टौयलेट का इंतजाम जस का तस है. यहां शौपिंग करने आ रही महिलाओं को परेशानी का सामना करना. इस के अलावा जो महिलाएं दुकान पर काम कर रही हैं या जो औनर हैं वह भी परेशान रहती हैं.
यह हालत केवल जनपथ मार्केट की नहीं है हर बाजार के यही हाल हैं. फेस्टिवल सीजन शुरू होने वाला है. शौपिंग करने वाली महिलाओं की भीड़ बढ़ेगी. बाजारों में टौयलेट की अव्यवस्था का प्रभाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है. टौयलेट में गंदगी के कारण यौन रोग हो सकते हैं. ज्यादा देर पेशाब से ब्लैडर संक्रमण व स्टोन का खतरा बढ़ जाता है. हाल के कुछ सालों में ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. सिविल अस्पताल की ओपीडी में रोज 25 से 30 मरीज इस परेशानी के कारण आ रहे हैं. इन में सब से अधिक महिलाओं की संख्या होती है.