Terrorism : कश्मीर घाटी के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को आतंकवादी हमला हुआ. आतंकवाद से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है. यूरोप, अमेरिका और एशिया आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं और आतंकवाद से लगातार लड़ भी रहे हैं लेकिन आतंकवाद खत्म नहीं हो पा रहा. सवाल यह है कि पूरी दुनिया में आतंकवाद है क्यों? आतंकवाद के पीछे राजनीति है या धर्म? आतंकवादियों के निशाने पर निर्दोष लोग ही क्यों होते हैं?

विश्व वर्ष 1945 के बाद युद्धों से तो छुटकारा पा गया और बहुत बड़े भूभाग में कहीं भी कोई वर्षों चलने वाला बड़ा युद्ध नहीं हुआ. कोरिया, मिस्र, वियतनाम, अफगानिस्तान, इराक, कुवैत, सीरिया, यूक्रेन में युद्ध हुए या हो रहे हैं पर उस पैमाने पर नहीं जो 1914 से 1919 और 1940 से 1945 के बीच हुए.

उस से पहले लोगों को शांति गरमी की बारिश की तरह मिलती थी, कुछ दिनों के लिए. 1945 के बाद बहुत खतरनाक बमों, एटमबमों के कारण युद्ध छोटे से इलाके, 2 देशों में या एक देश के कुछ हिस्सों में हो रहे हैं. हर समय दुनिया की 90-95 प्रतिशत जनता शांति से ही नहीं रहती रही, वह अगले 10, 20, 30, 40 वर्षों की योजनाएं भी बनाती रही. आतंकवाद इस मामले में अपवाद है कि उस से मरने वालों की संख्या किसी भी एक बड़े शहर में सालभर में होने वाली कार दुर्घटनाओं से मरने वालों से कम रही है.

7 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हत्याकांड पर पूरे पाकिस्तान पर हमला नहीं किया, हालांकि नरेंद्र मोदी की पार्टी के अंधभक्त यही चाहते थे. नरेंद्र मोदी को मालूम था कि एटम बमों से लैस पाकिस्तान पर हमला कभी भी सफल नहीं हो सकता. वे सिर्फ भारत की जनता को संतुष्ट करने के लिए कुछ कर सकते हैं और बाजेगाजे के साथ भारतीय सीमा में उड़ते हुए हवाई जहाजों ने मिसाइलें उन मकानों पर मारीं जहां आतंकवादियों के होने का अंदाजा था.

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