बैंक एकाउंट के इस्तेमाल करने का ढंग बहुत महत्वपूर्ण होता है।आमतौर पर ज्यादातर लोग यह सलाह भूल जाते हैं कि बैंक एकाउंट का इस्तेमाल उसी तरीके से करना चाहिए, एकाउंट खोलते समय जिस तरह की हिदायतें दी गयी हों. साइबर नेटवर्किंग के इस दौर में एक तरफ जहां बैंकिंग एक आसान गतिविधि बन गयी है, वहीं दूसरी तरफ इससे ठगी के नये-नये रास्ते भी खुल गये हैं।ऐसे में ठगे जाने से बचने के लिए बुनियादी चीजों पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है।बैंक सम्बंधी ठगी से बचने के लिए विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे आसान तरीका यह है कि बैंक एकाउंट को ज्वाइंट आपरेशन मोड यानी संयुक्त खाता के रूप में खोला जाए।इसके कई फायदे हैं तो इससे कुछ समस्याएं भी खड़ी होती हैं.आमतौर पर समस्या तब पैदा होती है जब साझे एकाउंट के दो पार्टनरों में से किसी एक की मौत हो जाए.

हालांकि संयुक्त खाता जैसा कि नाम है, उसके हिसाब से थोड़ा मुश्किल भरा लगता है।लेकिन अकेले बैंक एकाउंट में जहां खतरा यह होता है कि अचानक कोई दुर्घटना हो जाने पर एकाउंट एक तरह से कुछ दिनों के लिए ठप सा पड़ जाता है और उस एकाउंट को किसी और के नाम करने के लिए या एकाउंट में जमा रकम को निकालने के लिए कई तरह की कानूनी अड़चनों से गुजरना पड़ता है वहीं साझे के खाते में इस तरह की ज्यादा समस्या नहीं उठानी पड़ती।चूंकि साझे के खाते में एक से ज्यादा लोग शामिल होते हैं और दो में से कोई भी व्यक्ति एकाउंट को अपनी सुविधा के मुताबिक सक्रिय रख सकता है यानी उसकी गतिविधियों का संचालन कर सकता है।इसलिए आमतौर पर कठिन वक्त में साझे के एकाउंट से ज्यादा परेशानी नहीं होती.

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लेकिन एक बात ध्यान रखना चाहिए कि साझे के एकाउंट को किस तरीके से संचालित करना है, इस सम्बंध में पहले ही लिखित में स्पष्ट कर लेना चाहिए।यह नहीं कि साझे का एकाउंट होने के बावजूद किसी एक खाताधारी के न रहने पर उन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़े जिन समस्याओं से बचने के लिए इस एकाउंट को खोला गया होता है.
साझे का खाता सुविधाजनक साबित हो, इसके लिए जरूरी है कि दोनों ही खाताधारक चाहे वे पति-पत्नी हों, दो बिज़नेस पार्टनर हों, दो सगे भाई हों या कोई भी एक खाते के दो साझीदार हों।उन्हें नियमित रूप से अपने-अपने हस्ताक्षरों के जरिए खाते को सक्रिय बनाये रखना चाहिए.ऐसा एकाउंट खुलवायें जिसमें दोनों ही खाताधारकों को बराबर की हैसियत हासिल हो और इस बात का विशेष तौरपर ध्यान रखें कि यह साझा खाता दो में से किसी एक के हस्ताक्षर से संचालित होता हो.लेकिन यह भी ध्यान रखें कि यह सुविधा हमेशा फायदेमंद नहीं साबित होती।कई बार ऐसा खाता सिरदर्द भी बन जाता है।खासकर तब जब दो में से कोई एक खातेदार बिना दूसरे की सहमति के खाते की दुरुपयोग करने लगे।ऐसे में यह साझा खाता फायदे की जगह सिरदर्द करने वाला साबित हो सकता है.

दरअसल एक से ज्यादा या दो लोगों के संयुक्त खाता संचालन के पीछे कोशिश यह रहती है कि खाते का दुरुपयोग न हो।इसलिए अगर आप अपने किसी दोस्त के साथ पार्टनरशिप पर व्यापार करने की योजना बना रहे हैं, तो ऐसे एकाउंट को ही प्राथमिकता दें जिसमें दो लोगों के सिग्नेचर मान्य हों।अगर दोनों के बजाए किसी एक के हस्ताक्षर से भी एकाउंट संचालित हो सकेगा तो यह आशंका रहेगी कि भविष्य में कोई एक खाताधारक इस सुविधा का गलत फायदा उठा ले।इसलिए शुरू से ही यह सुनिश्चित करें कि बिना दोनों खाताधारियों के पूरे हस्ताक्षर हुए बैंक से किसी तरह का लेनदेन संभव न हो सके.

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साझे के खाते का एक और आयाम है ज्वाइंट होल्डिंग, जो आमतौर पर कारोबार में नियमित लेनदेन के सिलसिले में हासिल सुविधा हाती है।यह साझे खाते की वह सुविधा होती है जिससे किसी एक खातेदार की अनुपस्थिति में भी खाता चलता रहे।हालांकि यह सिर्फ एक टेक्निकल टर्म है लेकिन इसे समझना और इसकी आड़ में होने वाली धोखाधड़ियों को समझना भी मुश्किल नहीं है।इस धोखाधड़ी को समझना बहुत आसान है।जब दो में से कोई एक खाताधारक मौजूद न हो और अगर दो से ज्यादा खाते के धारक हों और उनमें से कुछ मौजूद न हों, तो खाते का इस्तेमाल साझे के कारोबार को सक्रिय बनाये रखने के लिए भी हो सकता है और अपने निजी फायदे के लिए भी.

अगर साझे एकाउंट के साझे खातेदार पति-पत्नी हों, तो पहले ही इस बात की बैंक से लिखित सुविधा ले लेनी चाहिए कि दोनों में से किसी के अचानक मर जाने या किसी तरह की दुर्घटना का शिकार हो जाने पर दूसरा व्यक्ति बिना किसी औपचारिकता के स्वतः खाता संचालन के लिए सक्षम हो जायेगा।ध्यान रहे कि खाता खोलने जैसी स्थिति में मुंहजुबानी बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए.क्योंकि जिस व्यक्ति के साथ आपकी मुंहजुबानी बातें हुई हों, जरूरी नहीं कि तब भी वही व्यक्ति उस कुर्सी का अधिकारी हो जो कुर्सी आपके अधिकार पर अंकुश लगा सकने में सक्षम हो.

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जबकि आप दो में से कोई एक रह गया हो।इसलिए जो भी करें, लिखित में करें।अगर पहले से ही यह सुविधा लिखित में हासिल कर ली गयी है कि दो पार्टनरों में से किसी एक के न रहने पर एक स्वतः ही खाता संचालन में सक्षम हो जायेगा तो अचानक किसी दुर्घटना की स्थिति में खाता लाॅक होने से बच जायेगा।वरना बैंक एकाउंट में ताला लगा देगी और उस ताले को खुलवाने के लिए ढेरों और गैरजरूरी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।ऐसे में कई बार जरूरी समय पर एकाउंट में जमा पैसे काम नहीं आ पाते.

कौन लोग न खोलें साझा खाता
– जिनमें कोई एक व्यापार तथा दूसरा नौकरी करता हो.
– जिनमें किसी एक ने बैंक से काफी लोन ले रखा हो और उसके डिफाल्टर होने की आशंका हो.
– वे पति-पत्नी जिनमें से किसी ने क्रेडिट कार्ड ले रखा हो और भुगतान की रेटिंग सही न हो.
– वे दो कामकाजी लोग जिनकी आपसी आमदनी में काफी फर्क हो.
– वे दो लोग जिनमें से एक पर तमाम जिम्मेदारियों का बोझ हो और दूसरा बिना जिम्मेदारियों के हो.
क्यों खोलें साझा खाता
– क्योंकि एकल खाता में सिर्फ वही व्यक्ति खाते का संचालत कर सकता है जिसके नाम पर यह खुला होता है.
–  जबकि साझे खाते की सुविधा से तब भी कामकाज में कोई बाधा नहीं आती जब कोई एक व्यक्ति शहर से बाहर हो.
– साझे खाते में लेनदेन में एक से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर होते हैं इसलिए धोखाधड़ी की आशंका कम रहती है.
– इसलिए कि अगर एक व्यक्ति न भी रहे तो भी जीवन सहजता से चलता रहे.
– इससे बैंकिंग सुविधा के इस्तेमाल में आसानी हो जाती है.

 

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