यह कहानी है राधिका की. 42 साल की राधिका 2 बच्चों की मां है. उस के पति निमेश की कोई बड़ी कमाई नहीं थी. पैत्रक घर में रहते थे. गांव में जमीन थी जिस पर खेती किसानी होती थी. वहां से कुछ पैसा आता था. पहले निमेश कुछ काम करता था. काम में जो पैसे मिलते थे उसे नशे में उड़ा देता था. घर में रखा जो पैसा था धीरेधीरे खत्म हो गया था. जमीन बेचने के बाद जो पैसा मिला था वह भी खत्म हो जाता था. घर की आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए राधिका ने खुद भी काम करना शुरू कर दिया था. इस से भी निमेश को दिक्कत होती थी.

जैसे-तैसे घर की गाड़ी चल रही थी. राधिका अपनी दोनों बेटियों के कालेज जाने की राह देख रही थी. दोनो बेटियां कालेज के हौस्टल में रहने लगी. राधिका किसी तरह से अपने मायके की मदद से दोनों बेटियों के कालेज का खर्च उठा रही थी. दीवाली की छुट्टी का समय था. दोनो बेटियां छुट्टी पर घर आई हुई थीं. एक दिन राधिका और निमेश में झगड़ा होने लगा. झगड़ा बढ़ा तो राधिका ने खुद को कमरे में बंद कर लिया. निमेश शराब पीने चला गया.

शाम को दोनों में कोई बात नहीं हुई. रात का खाना भी निमेश ने अलग कमरे में खाया. राधिका और उस की दोनों बेटियां एक कमरे सोने चली गईं. निमेश अपने कमरे मे चला गया. रात का करीब दो बजा था. राधिका की बेटी नेहा बाथरूम करने के लिए निकली तो उस ने जैसे ही बाथरूम के दरवाजे पर उसे अपने पिता निमेश की बौडी छत पर लगे जाल से लटकती दिखी. नेहा यह देख चीख पड़ी. उस की चीख सुन कर मां राधिका और बहन पूजा बाहर आई. वह भी यह देख कर चिखने चिल्लाने लगीं. कुछ देर तो तीनों को समझ ही नहीं आया कि क्या करें?

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