स्टूडैंट और टीचर के बीच की ऐसी खट्टीमीठी यादें होती हैं जो बड़े होने पर भी दिमाग से नहीं निकलतीं. कई बार अनबन होती हैं जो बाद में बचकानी लगती हैं. जानिए ऐसी अनबनों को कैसे ठीक करें.

मैं कोई शिक्षक नहीं हूं, बस एक साथी यात्री हूं जिस से तुम ने राह पूछी है.’ महान नाटककार, आलोचक और नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता जौर्ज बर्नार्ड शौ का यह कथन शिक्षक की अहमियत को और बढ़ा देता है. टीचर केवल किताबी ज्ञान नहीं देते, वे जीवन की राह भी दिखाते हैं. वे आप को दुनिया के बीच खड़े होने को तैयार करते हैं. वही अनुशासन सिखाते हैं.

स्टूडैंट और टीचर का रिश्ता काफी खास होता है. पेरैंट्स के बाद अध्यापक को ही टीनएजर का दूसरा गुरु माना जाता है. शिक्षक भी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन कई बार स्टूडैंट और टीचर की रिलेशनशिप ज्यादा मजबूत नहीं होती है. कालेज में बेस्ट परफौर्मेंस देने के बाद जहां शिक्षक टीनएजर की सराहना करते हैं तो वहीं गलती करने पर टीनएजर को फटकार लगाने से भी नहीं चूकते हैं. ऐसे में ज्यादातर टीनएजर के साथ शिक्षक का रिश्ता बेहतर नहीं बन पाता है.

दरअसल, टीचर जब होमवर्क दे या डांटे तो वह आप को बुरी लगती है और जब तारीफ करे तो अच्छी. इसी तरह के कुछ खट्टे मीठेपलों से बनता है यह रिश्ता. लेकिन कई बार टीचर और स्टूडैंट के बीच किसी बात को ले कर अनबन काफी बढ़ जाती है. यह स्थिति दोनों के लिए ही सही नहीं होती क्योंकि इस का सीधा असर पढ़ाई और आने वाले भविष्य पर पड़ता है. सो, आइए जानें कि टीचर से अनबन या झगड़ा के क्या कारण होते हैं और उन्हें कैसे दूर करें.

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