22 अगस्त, 2017 को शायरा बानो सही टाइम पर कोर्ट पहुंची गई थीं. सब से पहले वह अपने वकील से मिलीं. वकील साहब ने उन्हें आश्वस्त किया, ‘‘डरने की कोई बात नहीं है. हिम्मत रखो, फैसला तुम्हारे ही पक्ष में आएगा. यह भी हो सकता है कि तुम देश और धर्म के लिए ऐतिहासिक महिला बन जाओ.’’
22 अगस्त, 2017 को 3 तलाक पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने वाला था. सुबह से ही मीडियाकर्मी व अन्य लोग कोर्ट के बाहर जमे हुए थे. यह ऐतिहासिक फैसला सुनाने के लिए अलगअलग धर्म के 5 न्यायमूर्ति तय किए गए थे, जो सही समय पर अपनीअपनी कुरसी पर विराजमान हो गए थे.
खचाखच भरी अदालत में सब से पहले अपना फैसला पढ़ने की शुरुआत मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर ने की. उन्होंने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया, ‘‘3 तलाक पर्सनल ला का हिस्सा है और इसे संविधान में मिली धार्मिक आजादी में संरक्षण प्राप्त है. इसलिए अदालत इस में दखल नहीं दे सकती.’’
यह सुनते ही अदालत में मौजूद एक बड़े वर्ग के चेहरे पर मुसकान उभर आई. लेकिन जब जस्टिस खेहर ने आगे कहा कि 3 तलाक पर सरकार कानून बनाने पर विचार करे और जब तक यह कानून बने, तब तक 3 तलाक पर पूरी तरह से रोक लगी रहेगी तो तमाम लोगों के चेहरे पर निराशा के भाव उभर आए.
जस्टिस खेहर के बाद जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश के फैसले पर असहमति जताते हुए अपना फैसला पढ़ा. उन्होंने 3 तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया. इस के बाद जस्टिस आर.एफ. नरीमन ने अपनी और जस्टिस यू.यू. ललित की राय बताते हुए मुख्य न्यायाधीश की राय से असहमति जताई.