किसी हिंदी फिल्म की शुरुआत के लिए भी शायद यह अति नाटकीय सीन लगे और निर्देशक आंख में इतने धूलझोंकू सीन को फिल्माने से मना कर दे, जैसी हकीकत पंजाब नैशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच घोटाले से सामने आई है. जैसा कि बैंक के एमडी सुनील मेहता बताते हैं, ‘यह सब 2011 से ही चल रहा था और 3 जनवरी 2018 को 11,360 करोड़ रुपए के घोटाले के रूप में सामने आया.’

अब सामने कैसे आया, जरा यह भी देख लीजिए. कई महीने पहले नीरव मोदी के कुछ अधिकारी पंजाब नैशनल बैंक की ब्रैंडी हाउस शाखा पहुंचे. उन्होंने बैंक के मैनेजर से कहा कि उन्हें हांगकांग से कुछ सामान मंगाना है. सामान मंगाने के लिए उन्होंने बैंक से एलओयू यानी लेटर औफ अंडरटेकिंग जारी करने को कहा. उन्होंने ये लेटर औफ अंडरटेकिंग हांगकांग में मौजूद इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक के नाम पर जारी करने की गुजारिश की.

भारत में लेटर औफ अंटरटेकिंग का मतलब यह होता है कि किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक या किसी भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा कारोबारी का अपना बैंक का साखपत्र जारी करता है, जिस का मतलब यह होता है कि आप इन साहब को इन की बताई हुई पार्टी को इतनी रकम का भुगतान कर दें. ये यह रकम 90 दिनों या अधिकतम 180 दिनों में लौटा देंगे. अगर ऐसा नहीं होता तो इस की भरपाई हम (यानी एलओयू या साखपत्र जारी करने वाला वाला बैंक) कर देंगे. यह शौर्ट टर्म लोन होता है.

इस लेटर के आधार पर कोई भी कंपनी दुनिया के किसी भी हिस्से में राशि को निकाल सकती है. इन एलओयू का इस्तेमाल ज्यादातर आयात करने वाली कंपनियां, विदेशों में भुगतान के लिए करती हैं. लेटर औफ अंडरटेकिंग किसी भी कंपनी को लेटर औफ कंफर्ट के आधार पर दिया जाता है. लेटर औफ कंफर्ट का मतलब होता है कि उसे कंपनी के स्थानीय बैंक की ओर से जारी किया गया है,यह उस कारोबार के लिए होता है, जो हो रहा होता है. यहां पीएनबी से यह गारंटी देने को कहा गया कि वह हांगकांग स्थित उन बैंकों को दे दे जिन का नाम ऊपर लिखा गया है.

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