2 मई, 2018 को बुधवार था. उस दिन मुंबई के मशहूर पत्रकार ज्योतिर्मय डे (जे. डे) हत्याकांड में सजा सुनाई जानी थी. यह केस विशेष मकोका अदालत के जस्टिस समीर अदकर की अदालत में चल रहा था और इस में माफिया डौन छोटा राजन सहित 11 आरोपी थे. मामला चूंकि एक वरिष्ठ पत्रकार और माफिया डौन से जुड़ा था, इसलिए फैसला सुनने के लिए अदालत में काफी भीड़ थी. दोनों पक्षों के वकीलों और सभी आरोपियों सहित उन के घर वाले भी मौजूद थे.

जब सजा के लिए बहस शुरू हुई तो सरकारी वकील प्रदीप घरात ने अपनी दलील देते हुए अदालत से कहा, ‘‘योर औनर, ज्योतिर्मय डे की हत्या आम हत्या नहीं बल्कि यह एक दुर्लभतम मामला है, क्योंकि इस में माफिया सरगना ने एक वरिष्ठ पत्रकार की हत्या कराई. अगर इन अपराधियों को कड़ी सजा नहीं दी गई तो पत्रकारों के लिए काम करना कठिन हो जाएगा. पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. लोकतंत्र की सफलता के लिए निर्भीक और स्वतंत्र पत्रकारिता जरूरी है.’’

सरकारी वकील प्रदीप घरात ने आगे कहा, ‘‘ज्योतिर्मय डे की बहन लीना बीमार रहती है. न कोई उस का इलाज कराने वाला है और न देखभाल करने वाला.’’

प्रदीप घरात ने इस मामले को दुर्लभतम बताने के बाद छोटा राजन सहित सभी दोषियों के लिए सख्त से सख्त सजा की मांग की. दूसरी ओर बचावपक्ष ने दोषियों की उम्र, कुछ के छोटेछोटे बच्चे होने और कुछ के घर वालों की बीमारी का हवाला देते हुए उन के साथ नरमी बरतने की दलील दी.

इस सुनवाई में एक खास बात यह भी थी कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद छोटा राजन के लिए वीडियो कौन्फ्रैंसिंग की व्यवस्था की गई थी, ताकि वह अदालत की काररवाई और बहस को देख भी सके और जवाब भी दे सके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...