हमारे देश में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल सदियों से चला आ रहा है. कहीं सयानेभोपो झाड़फूंक से लोगों का इलाज करते हैं. कहीं तांत्रिक अपने टोटकों से लोगों की समस्याएं दूर करने का दावा करते हैं, तो कहीं ढोंगी बाबा अपने चमत्कार दिखाते हैं. कहीं फकीर का चोला पहन कर लोगों का दुख दूर किया जाता है. कोई बाबा दरबार सजाता है तो कोई मंदिर की आड़ में इस तरह के काम करता है. कोई मजार पर बैठ कर झाड़ा लगाता है.

यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि लंबे समय से चला आ रहा है. कोई तथाकथित भूत उतारने का दावा करता है तो कोई लड़का पैदा होने की दवा देता है. कोई कैंसर की बीमारी का इलाज करने की बात करता है तो कोई वशीकरण मंत्र के नाम पर मुकदमा जीतने और खोया प्यार दिलाने की गारंटी देता है.

कई जगह तो महिलाएं भी ऐसे कथित चमत्कार दिखाती हैं कि अंधविश्वास में डूबे लोग उन की जयजय कार करते हैं. कई जगह तो इलाज के नाम पर पीडि़त पर अत्याचार भी किए जाते हैं. पीडि़त को लोहे की जंजीरों से पीटा जाता है.

विज्ञान के इस युग में ये कथित बाबा और भोपाभोपी आमजन के विश्वास से खिलवाड़ कर रहे हैं. शिकायत होने पर पुलिस और संबंधित विभागों के अधिकारी कभीकभार इन के खिलाफ काररवाई करते हैं. लेकिन ये काररवाई इतनी हल्की होती है कि ढोंगी बाबाओं पर कोई असर नहीं पड़ता.

कुछ दिन के बाद ये लोग फिर अपनी दुकान जमा लेते हैं. अपने ही लोगों के माध्यम से ये भक्तों का ऐसा मायाजाल बुनते हैं कि दुखी, पीडि़त लोग इन की चौखट पर माथा टेकने पहुंच जाते हैं और फिर शुरू कर देते हैं आस्था के नाम पर लोगों को ठगना.

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