पिछले दिनों बिहार के सिवान की जदयू विधयक कविता देवी ने यह फरमान जारी कर दिया कि लड़कियों को सभ्यता और संस्कृति के हिसाब से ही कपड़े पहनने चाहिए. सिसवां कला पंचायत ने लड़कियों के छोटे कपड़े पहनने और मोबाइल फोन रखने पर पाबंदी लगा दी है. इतना ही नहीं पंचायत का आदेश नहीं मानने वाली लड़कियों के मां-बाप से जुर्मानो के तौर पर 5 हजार रूपए वसूलने का फरमान भी जारी किया गया है. विधायक अपने ऊल-जलूल फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि लड़कियों को खुद ही समझना चाहिए कि वे भड़काऊ कपड़े न पहनें. इससे लड़कों और मर्दो की नीयत खराब होती है.

कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह कह कर बवाल मचा दिया था कि औरतें अगर लक्ष्मण रेखा को लांघेंगी तो रावण सामने खड़ा मिलेगा, इसलिए उन्हें सीमाओं में ही रहना चाहिए. इसी तर्ज पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा था कि महिलाओं के खिलाफ अपराध ‘इंडिया’ में होते हैं, भारत में नहीं. शहरों में महिलाएं पश्चिमी जीवनशैली अपनाती हैं, जिससे उनके खिलाफ अपराध होते हैं.

पिछले साल पटना के फुलवारीशरीफ प्रखंड में इस्लामी दावा रिसर्च फाउंडेशन (आईडीआरएफ) ने मुस्लिम महिलाओं के बाल छोटे कराने और आई ब्रो बनवाने पर रोक लगाने के लिए फतवा जारी करने की मांग की थी. उलेमा का मानना है कि शरीयत कानून में औरतों को कंधे तक बाल रखने और सिर पर आंचल डालने का हुक्म है. ऐसा नहीं करने वाली औरतें दोजख के आग हकदार होती है.  सुंदर दिखने के लिए औरतों को आई ब्रो सेटिंग करना भी गुनाह माना गया है. फतवे की मांग करने वालों में फुलवारीशरीफ के जानेसार खालिद, सैयद इमाम, ऐरम परवीन, साइस्ता अंजुम आदि शामिल हैं.

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