केन्या में अपने 30 वर्षों के प्रवास के दौरान मैं ने वहां की अनेक सामाजिक कुरीतियों तथा रीतियों का गहन अध्ययन किया. वहां की दहेज प्रथा मुझे बहुत आश्चर्यजनक लगी.

भारत में लड़की वाले लड़के वालों को दहेज देते हैं हालांकि यह गैरकानूनी है. इस के विपरीत केन्या में लड़के वाले लड़की के मातापिता को भारी रकम देते हैं. दहेज देने के बाद ही विवाह कानूनी तौर पर स्वीकृत होता है. इस प्रथा को केन्या में ‘ब्राइड प्राइज’ के नाम से जाना जाता है.

अचंभे वाली बात यह लगी कि केन्या सरकार ने इस प्रथा को पूर्ण मान्यता दे रखी है. ऐसा केवल केन्या में ही नहीं बल्कि केन्या के समीप के देशों, तंजानिया तथा युगांडा में भी इस प्रकार की दहेज प्रथा का प्रचलन है.

विभिन्न अफ्रीकी व्यक्तियों से संपर्क करने पर पता चला कि वे इस प्रकार की दहेज प्रथा का शिकार हुए. मेरे साथ एक अध्यापिका मिस रोज कार्यरत थीं. उन का एक ही बेटा था. उस के जन्मदिवस पर मु?ो आमंत्रित किया गया. वहां उन्होंने अपने पतिदेव मिस्टर पीटर से मेरा परिचय करवाया. मैं ने पीटर से पूछा कि क्या कारण है तुम्हारी पत्नी अपने नाम के साथ मिस लिखती हैं? पीटर ने बताया कि जो ब्राइड प्राइज रोज के मातापिता के साथ तय हुई है जब वह चुक जाएगी तब हमारा विवाह चर्च में होगा.

ब्राइड प्राइज यहां के अलगअलग कबीलों में अलगअलग ढंग से अदा की जाती है. कई कबीले जैसे कि किकूयू, लुओ, कलेंजिन आर्थिक तौर पर संपन्न हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती. जो कबीले, जैसे कि मसाई, तुरकाना, मिजीकेंडा आर्थिक तौर पर संपन्न नहीं हैं, वे अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ‘ब्राइड प्राइज’ तय करते हैं.

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