यदि आप पशुप्रेमी हैं, खासतौर पर हाथीप्रेमी और आप हाथियों के समाज, रहनसहन, खानपान आदि से परिचित होना चाहते हैं तो श्रीलंका का पिन्नावाला हाथी अनाथालय आप के लिए बिलकुल उपयुक्त जगह है. समयसमय पर विश्व में बढ़ती जनसंख्या से प्रभावित पशुओं के संरक्षण के लिए अनाथालय बनाए जाते रहे हैं.

इसी क्रम में 1975 में श्रीलंका के वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा श्रीलंका के जंगलों के आसपास घूमने वाले अनाथ, दुधमुंहें हाथियों की देखभाल एवं उन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से हाथी अनाथालय की स्थापना की गई थी. 1978 में यह अनाथालय श्रीलंका के डिपार्टमैंट औफ नैशनल जियोलौजिकल गार्डन को हस्तांतरित कर दिया गया.

सर्वप्रथम यह अनाथालय विलपट्टू नैशनल पार्क में अस्थायी तौर पर संचालित किया गया था, जहां से बाद में इसे बेनडोटा पर्यटन स्थल ले जाया गया. इस के बाद इसे देहीवाला जू द्वारा संचालित किया गया और अंत में इसे स्थायी तौर पर महा ओया नदी के पास हरेभरे गांव पिन्नावाला में 25 एकड़ क्षेत्र में स्थापित कर दिया गया.

हाथियों के संरक्षण की बेहतर व्यवस्था

पिन्नावाला हाथी अनाथालय की शुरुआत 5 हाथियों के साथ की गई थी. वर्तमान में यहां 3 पीढि़यों के लगभग 88 हाथियों की परवरिश की जा रही है. इन में 40% नर तथा 60% मादा हाथी हैं. इस अनाथालय का प्रमुख उद्देश्य जंगल में अनाथ हो चुके अथवा अपने मातापिता से बिछुड़ चुके शिशु हाथियों को भोजन एवं संरक्षण प्रदान करना है. प्राय: श्रीलंका के जंगलों में शिशु हाथी अपने झुंड के साथ पानी की तलाश में भटकते हुए गड्ढों में गिर जाते हैं या जंगलों में चल रही कई विकास परियोजनाओं के चलते अपने झुंड से बिछुड़ जाते हैं. ऐसे शिशु हाथियों के लिए पिन्नावाला एक सुरक्षित शरणगाह है.

वर्तमान में इस अनाथालय में हाथियों की देखभाल के लिए लगभग 48 महावत कार्यरत हैं. मादा एवं शिशु हाथी पिन्नावाला क्षेत्र के हरेभरे वन क्षेत्र में झुंड बना कर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं. हाथियों के इस झुंड को दिन में 2 बार आधे किलोमीटर क्षेत्र में भोजन तथा नदी में नहाने के लिए ले जाया जाता है. रात होने पर मादा हाथियों को बांध दिया जाता है.

नर हाथियों को कुछ छोटे कामों के लिए परिवहन के रूप में व्यस्त रखा जाता है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए शिशु हाथियों को बोतल से दूध पिलाया जाता है. कुछ शुल्क दे कर पर्यटक खुद अपने हाथों से भी इन शिशुओं को बोतल से दूध पिला सकते हैं.

हाथियों को मिलता है प्राकृतिक आवास

पिन्नावाला हाथी अनाथालय का हमेशा यही प्रयास रहता है कि हाथियों को उन के प्राकृतिक आवास यानी जंगल में ही रखा जाए. इस दृष्टिकोण से हरेभरे नारियल के वृक्षों तथा अन्य जैवविविधताओं से भरा पिन्नावाला क्षेत्र हाथियों के लिए एकदम उपयुक्त स्थान है. यहां हाथियों को घास के अलावा उन के उचित पोषण के लिए कटहल, नारियल, खजूर तथा इमली का भी इंतजाम किया जाता है. प्रत्येक वयस्क हाथी को रोजाना लगभग 76 किलोग्राम हरा चारा तथा 2 किलोग्राम की भोजन की थाली दी जाती है, जिस में चावल की भूसी और मक्का शामिल होता है. 1982 से हाथी प्रजनन कार्यक्रम यहां के प्राकृतिक वातावरण तथा पोषण की उचित व्यवस्था के कारण सफलता से संचालित किया जा रहा है. प्रजनन कार्यक्रम की सफलता के चलते पिछले 29 वर्षों के दौरान यहां 84 से अधिक हाथी जन्म ले चुके हैं. सितंबर से अक्तूबर का समय प्रजननकाल का होता है. इस समय नरमादा झुंड में आकर्षित होते हैं अत: इन 3 महीनों के लिए सभी राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाते हैं. मादा 4 वर्ष में एक बार शिशु को जन्म देती है और अपने पूरे जीवन में सिर्फ 2 या 3 बच्चे ही पैदा करती है. 13 वर्ष की उम्र में मादा प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है. शिशुओं की देखभाल मादा झुंड बना कर करती हैं.

पिन्नावाला और पर्यटन

वर्तमान में पिन्नावाला पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण बन गया है. यह अनाथालय पर्यटकों के लिए रोजाना खुलता है. पर्यटकों की आवाजाही से इस अनाथालय को जो धन प्राप्त होता है, उसे प्रबंधन द्वारा अनाथालय के हित में खर्च किया जाता है. यहां प्रवेश शुल्क की दरें श्रीलंका के पड़ोसी देशों के लिए लगभग 1 हजार रुपए  (श्रीलंकाई मुद्रा में) प्रति व्यक्ति तथा अन्य विदेशी पर्यटकों के लिए 2 हजार रुपए प्रति व्यक्ति निर्धारित की गई हैं.

हाथी विष्ठा (एलीफैंट डंग) से हस्तशिल्प

पिन्नावाला में हाथियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए कार्यरत एक गैरसरकारी संगठन मिलेनियम एलीफैंट फाउंडेशन द्वारा रिसाइकिल पेपर बनाने वाली एक कंपनी से करार के तहत हाथियों की विष्ठा से रिसाइकिल पेपर बनाया जाता है. कागज बनाने केलिए विष्ठा को अलगअलग प्रक्रियाओं से साफ कर बड़ी मात्रा में रेशा प्राप्त किया जाता है. इस रेशे की लुगदी बना कर कागज तैयार किया जाता है. केवल कागज ही नहीं, हाथी की विष्ठा से तरहतरह का सजावटी सामान और खिलौनों का भी निर्माण किया जाता है. इस से कई लोगों को रोजगार मिलता है. मिलेनियम फाउंडेशन विश्व के अनेक देशों से आए स्वयंसेवकों को हाथी की दैनिक क्रियाओं तथा स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों पर भी प्रशिक्षण देता है.

बनिए हाथी के मालिक

हाथी केवल पिन्नावाला तक ही सीमित न रहें बल्कि श्रीलंका के दूसरे भागों में भी लोग इन का अवलोकन करें, इस बात का ध्यान रखते हुए पिन्नावाला अनाथालय प्रबंधन द्वारा कुछ स्वस्थ एवं वयस्क हाथियों को वन्यजीव संस्थाओं, जीव संगठनों अथवा वन्यजीव प्रेमियों को दान में अथवा शुल्क ले कर दिया जाता है

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