केस 1: समय: सुबह के 5-6 के बीच का. महिलाओं के लिए खासतौर पर फोन घनघनाने लगे. ये फोन दैवीय चमत्कार बताने के लिए थे. सूचना मिली कि घरों में रखे दैनिक उपयोग के पत्थरों से बने औजारों जैसे सिल व बट्टा तथा अनाज पीसने वाली चक्की के पाट अपनेआप किसी दैवीय शक्ति के बूते टंक गए हैं. बताया गया कि ऐसा प्रतीकात्मक रूप से पत्थर द्वारा निर्मित देवीदेवताओं की पूजा में अरुचि के कारण देवी की नाराजगी से हुआ है. जो व्यक्ति पूजाअर्चना नहीं करेगा वह गंभीर संकट से घिर जाएगा. बस फिर क्या था. महिलाएं झटपट पत्थर से बने उन औजारों को देखने भागीं. जिस के औजारों में थोड़ा भी परिवर्तन था वह इसे दैवीय शक्ति का प्रभाव मान बैठी और फिर तुरंत पूजाअर्चना शुरू कर दी. कुछ ही घंटों में यह बात जंगल में लगी आग की तरह कई जिलों में फैल गई और फिर कई हफ्तों तक बदस्तूर जारी रही. यह अंधविश्वास का एक नमूना भर है, जिसे पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश के जनपदों खासकर इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कानपुर, रायबरेली, अमेठी आदि के ग्रामीण क्षेत्रों में खूब प्रसारित किया गया.

केस 2: स्थान: केस 1 के सभी क्षेत्र. समय: शाम के 7-8 बजे के बीच का. ग्रामीण महिलाओं के पास खबर आने लगी कि देवी सपने में आई और बोली कि मेरा पूजन करो, बहनबेटियों के यहां साडि़यां और पकवान बना कर भेजो, दानदक्षिणा दो. इस से घर में बरकत बढ़ेगी.

केस 3: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद के अरखा गांव के निकट एक गाय ने विकृत आकृति वाला बच्चीनुमा बछड़ा जना. स्थानीय महिलाओं का भारी हुजूम उमड़ पड़ा. देखते ही देखते फूलमालाएं, प्रसाद और पैसा चढ़ने लगा. 2 दिनों के बाद गाय के बच्चे की मौत हो गई.

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