युवतियों को अकसर राह चलते, बस, मैट्रो, मार्केट आदि जगहों पर छेड़खानी का सामना करना पड़ता है. यह छेड़खानी घूरने, भद्दे व अश्लील इशारे करने, अभद्र कमैंट्स व मौके का फायदा उठा कर शरीर छूने के रूप में सामने आती है.

जब युवतियां जानती हैं कि ऐसे मनचलों से पाला पड़ना आम बात है तो क्यों न इन से डरने के बजाय बोल्ड हो कर, डट कर इन का सामना करती हैं?जब तक आप डरती रहेंगी तब तक इन मनचलों के हौसले बढ़ते रहेंगे. शहर हो या कसबा, ऐसे मनचलों की कमी नहीं है जो युवतियों को देखते ही अश्लील फबतियां कसने से बाज नहीं आते. ऐसे में कुछ युवतियां उन की इस छेड़खानी को नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाती हैं, जिस से मनचलों के हौसले बुलंद होते हैं. छेड़खानी की घटनाएं बढ़ने का मुख्य कारण युवतियों द्वारा मनचलों का डट कर मुकाबला न करना है. युवतियां मनचलों से डर कर व बदनामी के भय से उन का विरोध नहीं करतीं, जिस का लाभ मनचले उठाते हैं.

जानिए, कैसे थोड़ी सी सूझबूझ से आप मनचलों को छेड़खानी का मुंहतोड़ जवाब दे सकती हैं :

छेड़छाड़ को समझें

छेड़छाड़ के अंतर्गत अश्लील हरकतें करना, गलत कमैंट्स करना, सोशल नैटवर्किंग के जरिए भद्दे एसएमएस व मैसेज भेजना, सीटी मारना, भीड़भाड़ वाले स्थान पर जबरदस्ती टकराते हुए निकलना, छूने की कोशिश करना आदि आते हैं. ऐसा व्यवहार जो किसी युवती की भावनाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से आहत करता है, छेड़छाड़ के अंतर्गत आता है.

22 वर्षीय रूपाली जो रोजाना घर से औफिस जाने के लिए बस व मैट्रो का प्रयोग करती है, कहती है, ‘‘घर से निकलते ही छेड़छाड़ की शुरुआत हो जाती है. बाइक व गाड़ी में आतेजाते युवक भद्दे इशारे करते हैं, घूरते हुए जाते हैं, कुछ तो लिफ्ट देने का भी निमंत्रण देते हैं. बस में साथ बैठने पर युवक जबरदस्ती ज्यादा जगह घेरते हुए छूने की कोशिश करते हैं और अगर बस में भीड़ हुई तो सीट के बराबर में खड़े हो जबरदस्ती लिंगर औन करते हैं या फिर पास आते हुए अपने मैनहुड से शोल्डर्स को छूने की कोशिश करते हैं. ऐसे में अगर मैं पीछे हटने या खुद को सिकोड़ने की कोशिश करूं तो उन के हौसले बढ़ जाते हैं.

‘‘इसी तरह मैट्रो व मार्केट में चलतेफिरते युवक जबरदस्ती टकराते हुए निकलने की कोशिश करते हैं. उन की हरकतों से समझ आ जाता है कि उन की नीयत ठीक नहीं है. वे भीड़ का फायदा उठा कर  गलत हरकतें करने की कोशिश करते हैं.

‘‘मैं इन सब से निबटने के लिए हर पल तैयार रहती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि डर के आगे जीत है. जब भी कोई युवक मुझे छूने या टकराने की कोशिश करता है, तो मैं अपना बैग या कुहनी बीच में अड़ा देती हूं. इस के बावजूद यदि वह नहीं संभलता तो मैं जोर से चिल्लाती हूं ताकि वह संभल जाए. मैं अपने पास पेपर स्प्रे, सेफ्टी पिन व छोटा चाकू रखती हूं ताकि जरूरत पड़ने पर स्वयं को बचा सकूं.

‘‘डरना छेड़खानी से बचने का समाधान नहीं है. डरने से तो इन मनचलों की हिम्मत और बढ़ती है. इसलिए जब भी कोई ऐसा प्रयास करे तो उस से आंखें मिलाएं और बोल्ड बन कर उस का सामना करें.’’

अपनी भावनाएं आहत न करें

छेड़खानी के दौरान हर युवती खुद को आहत पाती है, उसे लगता है उस के साथ शाब्दिक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार हो रहा है. उसे गुस्सा आता है, युवकों की भेदती निगाहें उसे भीतर तक छलनी करती हैं, लेकिन वह डर से रिऐक्ट नहीं करती, ऐसा हरगिज न करें. खुद को बेचारी न समझें. किसी को कोई हक नहीं कि वह आप की भावनाएं आहत करे, आप को शारीरिक व मानसिक कष्ट पहुंचाए. इसलिए ऐसी किसी भी हरकत का पलट कर बोल्डनैस से जवाब दें. डरें व घबराएं नहीं. आप सोचें कि सड़क पर, मैट्रो में, बस में, मार्केट में आप को भी आजादी से निडर घूमनेफिरने का उतना ही हक है जितना कि युवकों को.

छेड़खानी : आप की गलती नहीं

कुछ घरों में युवतियों को सिखाया जाता है कि अगर कोई आप से छेड़खानी करे, अभद्र कमैंट करे तो सिर नीचे कर के आगे बढ़ जाओ, उस का जवाब न दो वरना वह कुछ और गलत कर सकता है. आज जरूरत ऐसी सोच बदलने की है क्योंकि गलत कमैंट व छेड़खानी कर के उस ने गलती की है और उस की गलती का जवाब न देना एक और बड़ी गलती है. गलती वह करे और सिर झुका कर आप चलें, भला यह कहां का इंसाफ है. इसलिए अगर कोई आप के साथ छेड़खानी करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दें.

युवतियों में इस बदलाव को लाने में अभिभावकों को भी आगे आना होगा. अपनी बेटियों में वह आत्मविश्वास व निडरता पैदा करनी होगी ताकि वे राह चलते मनचलों का बोल्डनैस से सामना कर सकें. मनचले इस बात का फायदा उठाते हैं कि युवती बदनामी और सीन क्रिएट होने के डर से जवाब नहीं देगी. उन की इसी सोच को बदलने के लिए उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी है ताकि अगली बार वे किसी युवती से छेड़छाड़ करने से पहले कई बार सोचें.

आत्मरक्षा की ट्रेनिंग लें

छेड़खानी से बचने के तरीकों में सैल्फ डिफैंस टे्रनिंग अहम भूमिका निभाती है. कई बार जब छेड़छाड़ हद से अधिक बढ़ जाए और बात शारीरिक सुरक्षा की हो, तो जूडोकराटे जैसी सैल्फ डिफैंस की टे्रनिंग खासी काम आती है. सैल्फ डिफैंस की तकनीक से न केवल युवतियों में शारीरिक ताकत बढ़ती है बल्कि मानसिक आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

जब हो छेड़छाड़

आप को यह समझना होगा कि आप अपने शरीर की मालिक खुद हैं. किसी को आप पर कमैंट करने या छूने का कोई हक नहीं है ऐसे में आप को निम्न बातों पर अमल करना चाहिए :

चिल्लाएं

जब भी कोई आप के साथ छेड़खानी करे तो आप जोरजोर से चिल्लाना शुरू कर दें. इस से उस में खौफ पैदा होगा.

खुद को परिस्थिति का शिकार न होने दें

अकसर भीड़भाड़ वाले इलाकों, बस या ट्रेन में लोग ‘बहुत भीड़ है’ कहते हुए युवतियों को छेड़ने, उन्हें टच करने का बहाना ढूंढ़ते हैं. ऐसी स्थिति में डरें नहीं और खुद को परिस्थिति का शिकार न होने दें. सब से पहले आप उसे दूर या फिर सलीके से खड़े होने को कहें. अपने बैग को उस के व अपने बीच की दीवार बनाएं. इस से वह अपने मनसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगा.                  मोबाइल ऐप ‘आर मित्र’अगर ट्रेन में अकेले सफर करते हुए आप को छेड़खानी का सामना करना पड़े, तो ‘आर’ मित्र नाम का ऐप आप की मदद करेगा. इस ऐप के जरिए मैसेज भेज कर आप अगले स्टेशन पर आरपीएफ या जीआरपी की मदद हासिल कर सकते हैं. आर मित्र यानी रेलवे मोबाइल इंस्टैंट ट्रैकिंग रिस्पौंस ऐंड असिस्टैंस नामक ऐप का इस्तेमाल करने के लिए इस ऐप को ऐंड्रौयड स्मार्टफोन के जरिए गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. अगर आप का फोन ऐंड्रौयड नहीं है तो भी आप मैसेज अंगरेजी में ‘इरेलहैल्प’ से टाइप कर के भारतीय रेलवे हैल्पलाइन नंबर 56161 पर भेज दें. आर मित्र के मैसेज भेजने पर जीपीएस व जीपीआरएस के जरिए यात्री और ट्रेन की लोकेशन का आसानी से पता चल जाएगा और सुरक्षाकर्मी आप तक पहुंच कर आरोपी के खिलाफ कार्यवाही कर सकेंगे.

छेड़खानी या पीछा करना जीने के अधिकार का हनन है -कोर्ट

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक युवक द्वारा एक युवती का पीछा करने, उस से अश्लील बातें करने व उस की मर्यादा भंग करने का दोषी मानते हुए कहा कि छेड़छाड़ सामाजिक अपराध है जो महिला के जीने के अधिकार व आजादी का हनन करता है. ऐसे अपराधियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए ताकि वे दोबारा इस तरह का अपराध करने की हिम्मत न करें.

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