ऐसे विरोध प्रदर्शन की आखिरकार जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से केरल का युवा समाज सड़कों पर नैतिक पहरेदारी का ठेका लिए घोर दक्षिणपंथियों की करतूतों से आजिज आ गया था. भगवा तालिबानी संस्कृति से यहां का स्वाभाविक जीवन प्रभावित हो रहा था. राज्य में 2 विपरीत लिंग का साथ चलना, उठनाबैठना दूभर हो गया था. फिर चाहे वह पतिपत्नी हों या भाईबहन. सड़क चलते पतिपत्नी से मैरिज सर्टिफिकेट तक की मांग की गई. अगर कहीं कोई लड़की मोबाइल पर किसी से बात कर रही होती तो 4-6 भगवा पट्टा बांधे लोग बेधड़क घेर कर कैफियत तलब करने लगते कि वह जिस से बात कर रही है, उस से उस का क्या संबंध है?
मजे की बात यह कि जवाब से संतुष्ट होना या न होना उन की मरजी पर निर्भर करता. अपनी साक्षरता और प्रगतिशीलता के लिए जाने जाने वाले केरल में भारतीय संस्कृति के नाम पर सामाजिक अपराधियों का बोलबाला दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था. सुबह से ले कर रात तक घोर दक्षिणपंथी सड़कों पर नैतिकता का भगवा तिकोना झंडाडंडा उठाए घूमते रहते हैं. कुल मिला कर तालिबानी दहशत का सा माहौल बनता जा रहा था. देश के किसी भी राज्य में नैतिक पहरेदारी का जिम्मा उठाने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है. यह वही देश है जहां सड़क पर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है या कोई दुर्घटना घट जाती है तो उन घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई भगवाधारी शायद ही आगे आता है इसलिए लोग सड़क पर दम तोड़ देते हैं. लोग तमाशा देखते रहते हैं.
हां, कुछ लोग दुर्घटनास्थल पर तड़पते व्यक्ति का मोबाइल पर फोटो लेने में जरूर जुट जाते हैं. याद करें, असम के एक रेस्तरां के बाहर एक लड़की के साथ बदसलूकी होती रही. लोग तमाशबीन बने देखते रहे. एक ने तो छेड़खानी की तसवीर ली और न्यूज चैनल को बेची और इंटरनैट पर डाल दी. हमारे देश के किसी भी महानगर व शहर का नाम ले लें, ऐसी घटनाएं वहां अकसर ही देखी जाती हैं. कुछ समय पहले पश्चिम बंगाल में कभी सलवारकमीज को अश्लील पहनावा बता कर स्कूल टीचरों पर डै्रसकोड लादने की कोशिश की गई तो कभी टीचर को लिपस्टिक लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अभी हाल ही में उत्तर कोलकाता के ऐतिहासिक स्टार थिएटर में एक लड़की को इसलिए प्रवेश नहीं दिया गया क्योकि वह मिनी स्कर्ट में थी.
बहरहाल, केरल में तो पानी सिर के ऊपर जा रहा था. इसीलिए 2 नवंबर के दिन केरल का युवा समाज ‘लिप लौक’ के माध्यम से प्रतीकात्मक विरो करने के लिए स्वत:स्फूर्त रूप से आगे आया और इन का साथ दिया अन्य कई राज्यों ने. दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ के मुख्यालय के निकट धरना भी दिया गया.
सदियों से शिकार महिलाएं
दुनिया में इस से पहले भी ऐसे ही स्वत:स्फूर्त आंदोलन हुए हैं. हर बार विरोध प्रदर्शन ने नया इतिहास रचा. 1960 में पुरुषों के साथ गैरबराबरी के खिलाफ अमेरिकी महिलाओं ने ‘ब्रा बर्न’ आंदोलन चलाया. बड़ी संख्या में महिलाएं अर्द्धनग्न हो कर सड़कों पर उतरीं और उन्होंने सड़कों पर ब्रा की होली भी जला कर लैंगिक भेदभाव के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया. तब भी समाज के ठेकेदारों की भौहें चढ़ गई थीं. महिलाओं पर तब पुरुषविरोधी, परिवारविरोधी होने का खिताब चस्पां किया गया. सशस्त्र बल विशेष अधिकार (असम और मणिपुर) अधिनियम, 1958 के नाम पर आएदिन सेना द्वारा बलात्कार के खिलाफ 2004 में मणिपुर की महिलाएं सड़क पर नंगी उतरी थीं. 11 जुलाई, 2004 को असम पैरामिलिट्री फोर्स ने इसी अधिनियम के तहत थांगजम मनोरमा को घर से उठा लिया था. अगले दिन जब धूलमिट्टी में सनी अर्द्धनग्न अवस्था में मनोरमा की लाश मिली तो पूरा मणिपुर सन्न रह गया. असम राइफल ने महिला के गुप्तांग में गोली मारी थी. उस के स्कर्ट में लगे वीर्य से साफ हो गया कि बेदर्दी से हत्या से पहले उस के साथ बलात्कार हुआ था.
जब पानी सिर के ऊपर गया
यहां उन कुछ घटनाओं का जिक्र जरूरी है, जिन्होंने केरल के युवा समाज को इस तरह से सड़क पर उतरने को मजबूर किया. केरल जैसे साक्षर राज्य में कई कोएड कालेजों में लड़केलड़की के बीच में बातचीत लगभग बंद है. लड़कियों के टाइट व लो वेस्ट जींस और टीशर्ट पहनने पर प्रतिबंध है. स्कूलों में फिल्मी डांस पर भी प्रतिबंध है. इस के अलावा पिछले 4 वर्षों में सैकड़ों घटनाएं केरल के छोटेबड़े शहरों में घट चुकी हैं, जिन्हें कुछ समय पहले तक नजरअंदाज किया जाता रहा. पर अब पानी सिर के ऊपर बहने लगा तो धैर्य का बांध टूटा और बात ऐसे शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन तक पहुंच गई.
5 जून, 2012 को कुन्नूर में एक गर्भवती महिला को इसलिए पीटा गया क्योंकि वह बस अड्डे पर अकेली मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी. खबरों के अनुसार, डिलीवरी के लिए महिला को उस का पति ले कर जा रहा था. बस अड्डे पर उसे बिठा कर वह करीब ही एटीएम से पैसे निकालने गया था. इस बीच, महिला की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो उस ने अपने पति को फोन मिलाया. तभी कुछ लोगों ने उसे घेर कर पूछताछ शुरू कर दी कि वह किस से बात कर रही है. महिला की सफाई को उन लोगों ने मानने से इनकार कर दिया और ताबड़तोड़ उस पर हाथ चलाने लगे. पति दौड़ादौड़ा आया तो उस पर भी उन लोगों ने हाथ जमा दिए. इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था. मानवाधिकार तक बात पहुंची.
19 जून, 2013 को कोच्चि की एक महिला इन्फोटेक प्रोफैशनल का अपने पुरुषमित्र के साथ बाइक पर सवार हो कर काम पर जाना भगवा तालिबानियों को नागवार गुजरा. रास्ते में एक जगह पर बाइक रोक कर लड़का सिगरेट लेने उतरा. तभी कुछ लोग वहां पहुंचे और लड़की से सवाल करने लगे कि वह कहां से आ रही है और कहां जा रही है. बाइक में उस के साथ कौन है और उस से उस का क्या संबंध है वगैरहवगैरह. लड़की ने उन से कुछ भी बताने को मना किया तो एक ने लड़की के गाल पर तमाचा जड़ दिया. दूसरे ने हाथ मरोड़ कर जमीन पर पटक दिया. लड़के के वहां पहुंचने पर उस की भी बेतरह पिटाई कर दी. पुलिस में शिकायत करने पर 72 घंटे के बाद पुलिस ऐक्शन में आई.
कट्टरपंथियों की करतूतें
19 जुलाई को तिरुअनंतपुरम में एक कंपनी का 32 साल का पेशेवर कला निर्देशक अपने फ्लैट में पेशे से टीचर अपनी 28 साल की गर्लफ्रैंड के साथ था. तभी दरवाजे पर घंटी बजी. दरवाजा खोला, कुछ भगवाधारी खड़े थे. वे उस कलानिर्देशक से लड़की के बारे में सवालजवाब करने लगे. लड़के ने बताया कि लड़की पास ही के एक स्कूल में टीचर है और उस की मित्र है. इतना सुनते ही वे तैश में आ गए. उस के फ्लैट में लड़की क्या करने आई? जैसे बेतुके सवाल के साथ धक्कामुक्की करने लगे. बात यहीं खत्म नहीं हुई. उन लोगों ने पुलिस को बुलाया. पुलिस उन्हें थाने ले कर गई. वहां एक सबइंस्पैक्टर ने रहीसही कसर पूरी कर दी. गालीगलौज करने के साथ मारकुटाई के बाद इंस्पैक्टर ने साफ कर दिया कि उन्हें तभी छोड़ा जाएगा जब उन के मातापिता थाने आ कर उन्हें ले जाएंगे. इतना ही नहीं, इंस्पैक्टर ने लड़की के स्कूल के पदाधिकारियों को भी बुलाने के लिए कहा.
3 अगस्त को कोट्टायम जिले में रविवार की शाम 4 बजे 2 लड़के और 3 लड़कियां अपने एक फ्रैंड के फ्लैट में इकट्ठा हुए. लगभग आधे घंटे के बाद पुलिस की जीप वहां पहुंची. पूरे इलाके को घेर लिया गया. गोया वहां कोई आतंकवादी छिपा हुआ है. फ्लैट की घंटी बजी. पुलिस अंदर गई और सब को एक कोने में ले जा कर पूछताछ शुरू कर दी. पूछताछ में पता चला कि फ्लैट का मालिक एक लिव इन रिलेशन में है और वहां उपस्थित एक लड़की उस की पार्टनर है. वहां सैक्स रैकेट और ‘इमोरल ट्रैफिकिंग’ का आरोप लगा कर पुलिस ने दोनों को साथ न रहने की हिदायत दी.
4 अगस्त को तिरुअनंतपुरम में एक इंफोटेक पेशेवर अपनी पत्नी और सास को ले कर कार से रिश्तेदार के यहां जा रहे थे. कुछ लोग अचानक कार के सामने आ कर खड़े हो गए. उन लोगों ने अपने को पुलिस होने का दावा किया और कौलर पकड़ कर पूछताछ शुरू कर दी. सड़क पर विवाह प्रमाणपत्र दिखाने को कहा गया. नहीं दिखाने पर सैक्स ट्रैफिकिंग का आरोप लगा कर मारपीट की गई. बाद में पुलिस में शिकायत करने पर उन लोगों को गिरफ्तार किया गया. पता चला कि वे श्रीराम सेना के लोग थे. अखिल भारतीय जनता युवा मोरचा, विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना, बजरंग दल जैसे तमाम दक्षिणपंथी संगठनों को ललकारा. नैतिक पहरेदारी के खिलाफ यह स्वाभाविक व स्वत:स्फूर्ति प्रतिक्रिया थी.
एक हुआ देश का युवा
तथाकथित नैतिक पहरेदारी के खिलाफ 2 नवंबर को कोच्चि में हुए इस विरोध प्रदर्शन के दिन और उस के बाद देशभर के युवा अपनेअपने शहरों में ऐसे ही प्रदर्शनों में शामिल हुए. मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद में भी प्रतीकात्मक प्रदर्शन हुए. दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दफ्तर ‘केशव कुंज’, झंडेवालान के करीब भी ऐसे ही प्रदर्शन हुए. दक्षिण कोलकाता में जादवपुर विश्वविद्यालय के परिसर और परिसर से बाहर, बस स्टैंड और उत्तर कोलकाता के कालेज स्ट्रीट में कलकत्ता विश्वविद्यालय और कौफी हाउस के बाहर बड़ी संख्या में छात्रछात्राओं ने एकदूसरे को चूम कर केरल के युवा समाज को एक संदेश दिया, ‘हम तुम्हारे साथ हैं.’ जादवपुर में तो छात्रछात्राओं के साथ प्रोफैसर भी इस आंदोलन में नजर आए,
दरअसल, इन शहरों व महानगरों के विरोध प्रदर्शन में इकट्ठा हुए युवाओं का मकसद एकदूसरे को चूमने का कतई नहीं था, बल्कि नैतिक पहरेदारी के खिलाफ प्रतिक्रियास्वरूप जगहजगह इकट्ठा हो कर प्रतीकात्मक विरोध जताया था. वहीं, कौफी हाउस के सामने प्रदर्शन की खबर स्थानीय न्यूज चैनल पर आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने वहां पहुंच कर हमला बोल दिया. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से कोलकाता में भी नैतिक पहरेदारी की घटना गाहेबगाहे सामने आ ही जाती है. पार्क स्ट्रीट गैंगरेप को ही लें. नैतिक पहरेदारी के लिहाज से ही इस कांड पर तृणमूल सांसद काकोली दोस्तीदार ने चौंकाने वाला बयान दे डाला था. तृणमूल सांसद ने पार्क स्ट्रीट की घटना को महिला और क्लाइंट के बीच ‘सैक्स डील’ में ‘मिसअंडरस्टैंडिंग’ बता डाला. तृणमूल के एक अन्य नेता ने तो सवाल खड़ा कर दिया था कि इतनी रात को महिला बीयर बार में कर क्या रही थी.
वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पश्चिमी बंगाल शाखा के राज्य सचिव सुबीर हलदार का कहना है कि जादवपुर के छात्रों, खासतौर पर छात्राओं ने इस विरोध प्रदर्शन के नाम पर अपनी शारीरिक यौनेच्छा का खुला प्रदर्शन ‘व्यावसायिक तौर’ पर किया है. इस बयान को ले कर एक अलग हंगामा खड़ा हुआ. तृणमूल सरकार में शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने खुलेआम चुंबन की आलोचना करते हुए कहा कि अगर किसी के मन में ऐसी इच्छा जग रही हो तो इस के लिए बंद कमरे सही जगह हैं. विरोध प्रदर्शन के नाम पर कोलकाता में जो कुछ हुआ, उस से शर्म से सिर झुक गया. जाहिर है तृणमूल इसे विरोध प्रदर्शन मानने को राजी नहीं. इस बार भी नैतिक पहरेदारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का रुख नैतिक पहरेदारी पर ही आ कर अटक गया.