जम्मूकश्मीर में मुसीबतों का आलम थमने का नाम ही नहीं ले रहा. पहले ही आतंकवाद का जख्म नासूर बन कर इसे हलकान किए था, उस के बाद बाढ़ की तबाही ने इस को बुरी तरह तोड़ कर रख दिया है. सरकार और सेना बाढ़ त्रासदी की चपेट में आए लोगों को बचाने की मुहिम में रातदिन एक किए हुए हैं. सैकड़ों जानें जा चुकी हैं और हजारों जिंदगियां मदद की आस में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही हैं. कश्मीर के 4 जिले--अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां, पुलवामा में फैले दक्षिण कश्मीर के अधिकांश हिस्से सितंबर के शुरुआती दिनों में बाढ़ की चपेट में आए थे, वहीं श्रीनगर का 60 फीसदी हिस्सा 7 सितंबर को झेलम के रौद्र रूप का शिकार बना.

बीते 109 सालों की सब से भयावह प्राकृतिक मार झेल रहे कश्मीर में भले ही पानी घटने लगा हो लेकिन भूख की मार और महामारी के खतरे मंडराने लगे हैं. mआजादी के बाद आई सब से बड़ी त्रासदी से जूझ रहे कश्मीरियों का आम जीवन कब सामान्य व अमन के ट्रैक पर वापस आ पाएगा, यह सवाल उन की पथराई आंखों पर रहरह कर उभरता देखा जा सकता है. 

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