गीता की शादी जबरन एक अधेड़ के साथ की जा रही थी. लड़की के मां-बाप भी उस पर विवाह का दबाब बना रहे थे. मां-बाप ने 50 हजार रूपए में उसका सौदा उत्तर प्रदेश के अधेड़ कारोबारी से तय कर दिया था. नवादा जिला के रजौली थाना के धमनी गांव की घटना है. इस बात की भनक लगने पर मुखिया और सरपंच लड़की के घर पहुंच गए और लड़की के बाप को फटकार लगाने लगे. विवाद बढ़ता देख कर कारोबारी आपने आदमियों के साथ भाग निकला. शिकायत मिलने के बाद भी पुलिस ने कारोबारी को पकड़ने में चुस्ती नहीं दिखाई. रजौली के एसएचओ अवधेश कुमार ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि इस बारे में लिखित शिकायत मिलने पर ही कारवाई होगी. लड़की की मौसी उत्तर प्रदेश में रहती है और उसी ने अधेड़ कारोबारी को विवाह के लिए तैयार किया था. पिछले 18 अप्रैल को विवाह कराने के लिए सभी लोग मंदिर की ओर निकलने की तैयारी में थे. इसी बीच मुखिया और सरपंच के हल्ला मचाने से गांव के लोग जुट गए.
बिहार के नवादा जिला के कौवाकोल गांव की रहने वाली सुगंध की शादी 13 साल की उम्र में कर दी गई थी. तब वह जानती भी नहीं थी कि विवाह किस चिड़िया का नाम है? आज 22 साल की सुगंध का यह हाल है कि उसके 3 बच्चे हो गए हैं और वह जिस्मानी रूप से इतनी कमजोर है कि ठीक से चल-फिर नहीं पाती है. लड़कियों के खेलने और पढ़ने की उम्र में उसकी शादी कर उनके मां-बाप एक तो उनका बचपन छीन लेते हैं और जिस्मानी एवं मानसिक रूप से कच्ची होने के बाद भी बच्चे को जन्म देने की वजह से वह अपनी बेटी और उसके बच्चे की जान को खतरे में डाल देते हैं.
बाल विवाह को रोकने और इसे बढ़ावा देने वालों पर कड़ी कारवाई के लिए ढेरों कानून बने हुए हैं, इसके बाद भी इस कुप्रथा पर रोक नहीं लग पर रही है. देश भर में बाल विवाह का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. बाल बाल विवाह होने वाले देशों में भारत 11वें नंबर पर है. इस मामले में भारत अतिपिछड़े अफ्रीकी देशों इथियोपिया एवं लीबिया के साथ खड़ा है. भारत के तमाम राज्यों में बाल विवाह के मामले में बिहार सबसे आगे है. यह हैरानी और अफसोस की बात है कि सूबे की 69 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में ही कर दी जाती है. बिहार के पश्चिम चंपारण, कैमूर, रोहतास, मधेपुरा, गया, नवादा और वैशाली जिले में सबसे ज्यादा बाल विवाह हो रहा है.
राष्ट्रीय परिवार सैंपल सर्वे के मुताबिक देश भर में 22 से 24 आयु वर्ग की 47.4 फीसदी औरतें ऐसी हैं जिनका विवाह 18 साल से कम उम्र में ही कर दिया गया. इसमें 56 फीसदी औरतें गांवों की और 29 फीसदी शहरी इलाकों की हैं. बिहार में 69 फीसदी लड़कियों को 18 साल से कम उम्र में विवाह कर मां-बाप अपने ‘बोझ’ को हटा डालते हैं. राजस्थान में 65.2 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 54.8 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 54 प्रतिशत, असम में 38.6 प्रतिशत तामिलनाडु में 23.3 प्रतिशत, गोवा में 12.1 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से कम आयु में ही कर दी जाती हैं.
हर मामले में बिहार भले ही पिछड़ा हो, लेकिन बाल विवाह के मामले में देश के सारे राज्यों को पछाड़ दिया है. पश्चिम चंपारण में 80 फीसदी लड़कियों की शादी पढ़ने और खेलने की उम्र में ही कर दी जाती है. नवादा में 73 फीसदी, रोहतास और कैमूर में 70 फीसदी, मधेपुरा में 66 फीसदी एवं वैशाली में 61.6 फीसदी लड़कियों को 18 साल से कम आयु में ही ब्याह कर मां-बाप अपनी जिम्मेवारी से नजात पा लेना मानते हैं. पटना जिला में 40 फीसदी लड़कियां बाल विवाह की शिकार बनती हैं.
बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा कहती हैं कि औरतों के पढने-लिखने और जागरूक होने से ही बाल विवाह पर रोक लग सकती है. इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए कानून से ज्यादा समाज के सहयोग की जरूरत है. यह सही है कि समाज में बड़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हैं, लेकिन समय से उसकी सूचना नहीं मिलने की वजह से कानून दोषियों पर कोई कारवाई नहीं कर पाता है. गांवों में होने वाले वाल विवाह को रोकने और उस पर नजर रखने के लिए सरपंचों को जिम्मवारी दी गई है.
डाक्टर किरण शरण बताती हैं कि कम उम्र में शादी होने से लड़कियां मानसिक और जिस्मानी रूप से कच्ची होती हैं. उन्हें न तो सेक्स आदि के बारे में कुछ पता होता है न ही परिवार के दायित्वों की ही जानकारियां होती है. कम उम्र में उन पर ढेर सारा बोझ डाल कर उनके मां-बाप अपनी बेटियों को मौत के मुंह में ढकेल देते हैं. कम आयु में मां बन जाने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान के लिए खतरा होता है. यह लड़के एवं लड़कियों के मां-बाप और समाज को समझना चाहिए.
लड़कियों में जागरूकता के बगैर बाल विवाह पर रोक मुमकिन नहीं हैं. खुद को बाल विवाह की शिकार होने से बचाने वाली कुछेक लड़किया इसकी जीती जागती मिसाल हैं. नेहरू युवा केंद्र से जुड़ी कटिहार की आरती, नारी शक्ति फांउडेशन की मेंबर गया की राधिका, नवादा की रूबी और प्रमिला ने बताया कि उन्होंने किस तरह से खुद को बाल विवाह से बचाया. राधिका बताती हैं कि जब उसके पिता ने 15 साल की आयु में ही उसकी शादी तय कर दी तो उसने महिला संगठनों को बता दिया. इससे उसकी शादी रूक गई. प्रमिला बताती है कि वह पढ़ना चाहती थी पर उसके मां-बाप उसकी शादी करने पर उतारू थे. उसने यह बात अपने स्कूल की मास्टर को बताई. मास्टर ने उसके मां-बाप को समझाया और कानूनी काररवाई करने की चेतावनी दी. उसके बाद ही उसके पिता ने उसकी शादी की जिद छोड़ी.
समाजसेवी आलोक कुमार कहते हैं कि बाल विवाह के मामलों में अकसर यही देखा गया है कि अनपढ़ और गरीब लोगों को कुछ रूपयों का लालच देकर उनकी लड़की से विवाह कर दूसरे राज्यों में ले जाते हैं. उसके बाद उसका शोषण शुरू हो जाता है. ज्यादतर ऐसे मामलों में लड़कियों को दलालों के हाथों में बेच दिया जाता है. इस तरह के धंधे का बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा और कई गांवों में एजेंट तक बहाल किए गए हैं. एजेंट गरीबों को रूपयों का लालच देकर उनकी बेटियों की शादी कराने की बात करते हैं और उसे ले उड़ते हैं.
क्या हैं बाल विवाह रोकने के कानून?
बाल विवाह प्रतिशोध अधिनियम, 2006 की धारा-2 के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़कों और 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को अवस्यक माना गया है. इस कानून के तहत वाल विवाह को अवैध करार दिया गया है. बाल विवाह की अनुमति देने, विवाह तय करने, विवाह करवाने या विवाह समारोह में हिस्सा लेने वालों को सजा दिये जाने का नियम है. कानून की धारा-10 के मुताबिक बाल विवाह करवाने वाले को 2 साल तक साधारण कारावास या एक लाख रूपए का जुर्माने की सजा दी जा सकती है. धारा-11 कहती है कि बाल विवाह को बढावा देने या उसकी अनुमति देने वालों को 2 साल तक का कठोर कारावास और एक लाख रूपए जुर्माने की सजा हो सकती है.