बारिश के मामले में दिल्ली और मुंबई की तुलना हो ही नहीं सकती. लेकिन सितंबर में बारिश के मामले में दिल्ली ने मुंबई को पछाड़ दिया है. सितंबर में दिल्ली में जहां 233.3एमएम बारिश हो चुकी है, वहीं मुंबई में सिर्फ 62.9 एमएम बारिश हुई है. इस झमाझम बारिश ने हवा को इतना साफ कर दिया है कि मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और बेंगलुरु जैसे शहर की तुलना में दिल्ली की हवा कहीं अधिक साफ है.
दिल्ली में पूरे सितंबर के दौरान 125.1 एमएम बारिश सामान्य है. लेकिन सोमवार शाम 5.30 बजे तक दिल्ली में 233.3 एमएम बारिश हो चुकी है. जबकि मुंबई में इस माह की सामान्य बारिश 341.4 एमएम है, लेकिन अब तक सिर्फ 62.9 एमएम बारिश हुई है. दिल्ली में सितंबर के दौरान इतनी अधिक बारिश साल 2010 में हुई थी.
सितंबर की इस रिकॉर्ड तोड़ बारिश की वजह से दिल्ली को साफ हवा में सांस लेने का मौका मिला है. बल्कि दिल्ली की हवा इस समय सबसे साफ शहरों में गिने जाने वाले मुंबई,अहमदाबाद, पुणे, बेंगलुरु आदि से साफ चल रही है. सीपीसीबी के एयर इंडेक्स के अनुसार, दिल्ली का एयर इंडेक्स महज 52 है. जबकि मुंबई का 79, बेंगलुरु का 80, पुणे का76 और अहमदाबाद का 79 दर्ज हुआ. सितंबर में आमतौर पर इतनी साफ हवा दिल्ली में नहीं होती.
स्काईमेट के चीफ मेट्रोलॉजिस्ट महेश पलावत ने कहा कि दिल्ली में मॉनसून के दौरान सबसे अधिक बारिश अगस्त में होती है. सितंबर में इस तरह की बारिश नहीं होती.
पिछले 24 घंटे के दौरान ही दिल्ली में 25.1 एमएम बारिश हुई है. जिसकी वजह से अधिकतम तापमान 27.8 डिग्री पर पहुंच गया है. यह सामान्य से 6 डिग्री कम है. दिल्ली के लगभग हर हिस्से में सोमवार को बारिश हुई. मौसम विभाग के अनुसार, मंगलवार को हल्की बारिश की संभावना है. अधिकतम तापमान 30 से 31 डिग्री के आसपास रह सकता है.
बसे बनेंगी ‘पल्यूशन मीटर’
दिल्ली की सबसे प्रदूषित सड़कों की लिस्ट तैयार की जाएगी. इसके लिए बसों में सेंसर लगाए जाएंगे. 5 बसों से इसी साल नवंबर से डेटा मिलने लगेंगे. सेंसर प्रदूषक तत्वों की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचाएंगे. इससे यह पता लगेगा कि सड़क के किस पॉइंट या किस चौराहे पर कितना प्रदूषण है. इसी हिसाब से सड़कों के लिए एक्शन प्लान तैयार होगा. यह पायलट प्रोजेक्ट नवंबर 2018 से फरवरी 2019 तक चलेगा.
इस योजना के तहत 300 मोबाइल सेंसर लगाए जाएंगे. इन कम कीमत वाले प्रदूषण सेंसर को आईआईटी दिल्ली और इंद्रप्रस्थ इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी के साइंटिस्ट्स की टीम ने तैयार किया है. बसों में सेंसर लगाने के लिए दिल्ली इंटिग्रेडेट मॉडल ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड (डिम्ट्स) से करार किया गया है. इस प्रोजेक्ट में प्रदूषण से मिलने वाले डेटा के विश्लेषण का काम आईआईटी कानपुर करेगी. इसमें पता लगाया जाएगा कि किस सड़क पर गाड़ियों की वजह से सबसे अधिक प्रदूषण हो रहा है. पहले फेज में 5 बसों में सेंसर लगेंगे. इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाकर 300 तक की जाएगी. बस रूट इस महीने के अंत तक फाइनल कर लिए जाएंगे.
यह सेंसर हथेली में आसानी से आ सकता है. इस सेंसर से पार्टिक्युलेट मैटर के बारे में पता चलेगा. सेंसर में एक कैमरा भी लगा होगा, जिससे टीम को यह पता चलेगा कि सेंसर के आसपास किस तरह की गाड़ियां हैं. इसमें जीपीएस भी होगा ताकि प्रदूषण डेटा की लोकेशन को ट्रैक किया जा सके और इससे पता चल सकेगा कि कहां पर सबसे अधिक प्रदूषण है.
प्रोजेक्ट को साइंस एंड टेक्नॉलजी मंत्रालय की ओर से फंड मिलेगा. पांचों सेंसर अक्टूबर तक लगा दिए जाएंगे, ताकि नवंबर से काम शुरू हो सके.