लेखक: रामकिशोर पंवार

हमारे देश के आरएनआई (भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक) से पंजीकृत देश के विभिन्न कोनों  (राज्य, जिला, तहसील, नगरीय, कसबा) से विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होने वाले समाचारपत्रों एवं पत्रिकाओं के नाम ‘शीर्षक’ जो प्रथम चरण में टीसी होते हैं और बाद में रजिस्टर्ड हो जाते हैं, अजबगजब सुनने व पढ़ने को मिलते हैं.

मध्य प्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय से एक हिंदी साप्ताहिक के प्रकाशक व संपादक नरेश मांडेकर जिला मुख्यालय बैतूल से अपने समाचारपत्र ‘दिवाल पोत दूंगा’ के संबंध में जिला मुख्यालय के एक अधिकारी के पास पहुंचे. जैसे ही उन्होंने अधिकारी को अपने समाचारपत्र के नाम का परिचय दिया तो अधिकारी कहने लगा, ‘‘हम ने तो दीवाली के पहले ही अपनी दीवार पुतवा ली.’’ एक समाचारपत्र के पंजीकृत शीर्षक का यों मजाक उड़ाना खलता है.

भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के पास पहले डाक से जिला कलैक्टर के माध्यम से और अब औनलाइन भी जिला कलैक्टर के माध्यम से शीर्षक आवेदनपत्रों में 3 या अधिक से अधिक 5 नाम मंगवाए जाते हैं. इन में से एक नाम, जिस नाम से कोई शीर्षक रजिस्टर्ड न हो, वह शीर्षक आवेदनकर्ता को दे दिया जाता है.

सर्वोत्तम नामों व श्रेष्ठ अर्थों वाले नामों के शीर्षक तो मिलना दूर है. ऊटपटांग नाम का शीर्षक मांगो तो आप को एक माह में मिलने वाला शीर्षक 3 दिनों में ही मिल जाएगा. आज यही कारण है कि पूरे देश में समाचारपत्रों के शीर्षक यानी नाम अजीबोगरीब होते हैं, जैसे ‘चांदी का जूता’, ‘आ बैल मुझे मार’ वगैरहवगैरह.

भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक के पोर्टल पर रजिस्टर्ड समाचारपत्रों के नाम देखें तो भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश से लगभग 7,000 समाचारपत्र पंजीकृत हैं. इन समाचारपत्रों में से करीब डेढ़ हजार दैनिक समाचारपत्र हैं, जबकि शेष साप्ताहिक या मासिक हैं. वैसे इतनी बड़ी संख्या में पंजीकृत इन समाचारपत्रों के नामों पर यदि नजर डाली जाए, तो बालाघाट जिले से निकलने वाले एक समाचारपत्र का नाम है, ‘चुड़ैल नाच रही शमशान में’.

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कुछ अन्य नामों में ‘चीखती दीवारें’, ‘आप की समस्या’, ‘हैरान परेशान हैवान’, ‘हैरान परेशान शैतान’ आदि दिखेंगे. नई दिल्ली स्थित रजिस्ट्रार औफ न्यूजपेपर्स औफ इंडिया यानी आरएनआई के कार्यालय में ये नाम पंजीकृत हैं. राज्य में अनेक समाचारपत्रों के नाम जहां समय या संख्या पर आधारित हैं, वहीं कुछ ने अपने या परिवार के सदस्यों के नाम पर पंजीकृत करवा रखे हैं, जैसे ‘मोहित वाणी’, ‘रामकिशोर टाइम्स’.

इसी तरह मध्य प्रदेश की राजधानी से हिंदी दैनिक ‘संजय समाचार’ का प्रकाशन हो रहा है. ‘गजनफर टाइम्स औफ इंडिया’, ‘सरोज एक्सप्रेस’, ‘सरोज वाणी’, ‘बेबी मंजुल’, ‘चाचा की चाह’, ‘अकबर टाइम्स’, ‘अर्चनाल प्रसून’, ‘प्रेमलता टाइम्स’, ‘प्रेमदाता’, ‘आदिबा टाइम्स’, ‘चिंटूपिंटू टाइम्स’ आदि नाम भी प्रमुख हैं. वैसे, मध्य प्रदेश में समाचारपत्रों ने गांवशहर के नाम के बदले अब नदियों को रजिस्टर्ड समाचारपत्रों व पत्रिका के रूप में पंजीकृत करवा रखा है. ‘मालवांचल’, ‘चंबल की बेटी’, ‘चंबल टाइम्स’, ‘साप्ताहिक ताप्ती हलचल’, ‘दैनिक ताप्ती दर्शन बैतूल’, ‘दैनिक ताप्ती समन्वय मुलताई’ के प्रकाशन भी हो रहे हैं. राज्य में 87 समाचारपत्र ऐसे हैं जिन में पहला शब्द मध्य प्रदेश है, जैसे ‘मध्य प्रदेश टाइम्स’, ‘मध्य प्रदेश संदेश’, जबकि 56 समाचारपत्रों के नाम कृषि या कृषकों से संबंधित हैं और 39 समाचारपत्र खबर व 23 कलम नाम से शुरू होते हैं.

हिंदी में रजिस्टर्ड इंग्लिश के नाम

कुछ ने अखबारों को भारीभरकम बनाने के लिए नाम इंग्लिश में रख लिए हैं. ऐसे हिंदीभाषी समाचारपत्र जिन के नाम इंग्लिश के हैं उन में ‘मीडिया औडिटर’, ‘मीडिया इंटरनैशनल’, ‘चार्जशीट’, ‘क्लासिक न्यूज’, ‘कंट्रोलरूम’, ‘काउंट डाउन’, ‘क्राइम टाइम्स’, ‘डार्क नाइट’, ‘डे टुडे’, ‘अर्न न्यूज’, ‘फ्यूज वायर’, ‘ट्वैंटीफर्स्ट सैंचुरी’, ‘मेल मेरी टाइम्स’, ‘एकुआ’, ‘मैन टुडे’, ‘ब्लैक स्नैक’, ‘मिड नाइट’, ‘ब्यूटी इंडिया’, ‘ब्लैक डायमंड’, ‘एक्शन रिपोर्टर’, ‘केबल मीडिया’, ‘सीएम न्यूज’, ‘कैमरा क्लिक’, ‘कैपिटल हाईलाइट’ आदि नाम शामिल हैं.

यहां कुछ समाचारपत्रों के नाम समय के आधार पर भी हैं या संख्या से शुरू होते हैं, जैसे ‘पीएम 10’, ‘पीएम 2’, ‘पीएम 30’, जबकि ‘मिडनाइट’ भी निकल रहा है. मध्य प्रदेश में जहां ‘बेरोजगार टाइम्स’ और ‘बेरोजगारों का हंगामा है’ नाम के समाचारपत्र हैं, वहीं एक समाचारपत्र ऐसा भी है जिस का नाम ही ‘काम दो’ है.

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मध्य प्रदेश में ‘उमा कहे पुकार के’ और ‘उमा लहर’ नामक समाचारपत्र प्रकाशित हो रहा है अन्य समाचारपत्र जिन के नाम कुछ अजीबोगरीब कहे जा सकते हैं, उन में ‘खुराफात’, ‘खोल दो पोल’, ‘कांच की परछाईं’, ‘कहना मान’, ‘कोतवाली के पीछे’, ‘कुटकुट’, ‘बाल की खाल’, ‘अंकल फोर ट्वैंटी’, ‘हम से कुछ छिप नहीं सकता’ और ‘भोपाल के झटके’, ‘ब्रम्ह पिशाच’, ‘भूत भवन’, ‘भूत समाचार’, ‘बेताल की दुनिया’, ‘बंद दरवाजा’, ‘हिपहिप हुर्रे’, ‘खास आदमी’, ‘डमडमडिगाडिगा’, ‘जमाना नोट का’, ‘लतियाओ’, ‘चंबल की धकधक’,‘रात का तहलका’,  ‘भ्रष्टाचार के काले कारनामों की खबर’ आदि शामिल हैं.

थोड़ा और हंस लें, अगर आप का समाचारपत्र का नाम ‘अफसोस’ रजिस्टर्ड होगा तब आप को अपने समाचारपत्र के प्रकाशन पर किसी प्रकार का अफसोस नहीं होगा और न रहेगा.

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