सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा यानी सैम पित्रोदा अमेरिका में रहते हैं. वे वहां कई कंपनियां चलाते हैं. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन थे. भारत में चल रहे लोकसभा चुनावों के समय उन्होंने ऐसे बयान देने शुरू किए कि कांग्रेस के सामने अहसज हालात पैदा हो गए. आखिरकार सैम पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पद से इस्तीफा देना पड़ा. सैम पित्रोदा ने पहले एक इंटरव्यू में ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ का जिक्र छेड़ते हुए यह कहा कि इस पर भारत में भी चर्चा होनी चाहिए. इस बयान को भाजपा ने एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया.
सैम पित्रोदा का संबंध कांग्रेस से था. वे राजीव गांधी के समय में काफी बड़ी हस्ती होते थे. भारत में कंप्यूटर की क्रांति में सैम पित्रोदा का बड़ा नाम था. जब राहुल गांधी राजनीति में आए तो सैम पित्रोदा उन के भी करीबी रहे. राहुल गांधी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सैम पित्रोदा का पूरा नाम भी बताया था. और उन की जाति बढ़ई व लोहार बताई थी.
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‘इनहेरिटेंस टैक्स’ यानी विरासत का कानून के बाद सैम पित्रोदा ने कहा, ‘हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व में रहने वाले लोग चाइनीज जैसे दिखते हैं, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में रहने वाले मेरे खयाल से गोरे लोगों की तरह दिखते हैं, वहीं दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी जैसे लगते हैं. इस से फर्क नहीं पड़ता. हम सब भाईबहन हैं.’
भाजपा ने इसे नस्लीय टिप्पणी बताया और खुद पीएम मोदी ने अपने चुनावी भाषण में सैम पित्रोदा के बयान के जरिए राहुल गांधी को घेरा. पीएम मोदी ने कहा, “मैं आज बहुत गुस्से में हूं. मुझे कोई गाली दे, मुझे गुस्सा नहीं आता. मैं सहन कर लेता हूं. लेकिन आज शहजादे के फिलौस्फर (सैम पित्रोदा) ने इतनी बड़ी गाली दी है, जिस ने मुझ में गुस्सा भर दिया है. कोई मुझे यह बताए कि क्या मेरे देश में चमड़ी के आधार पर योग्यता तय होगी. संविधान सिर पर ले कर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान कर रहे हैं.”