देशभक्ति को हिंदूधर्मभक्ति का रूप देने की कोशिश में भाजपा के एक सक्रिय गुट ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि कोई भी जरा सी बात, जो इन के खोखले विचारों की पोल खोलती हो, नहीं कह सकता है, अगर किसी ने कह दी तो गुट वाले बवाल मचा देते हैं. यह हर धर्म की मूल चाल है कि किसी को भी धर्म की खामी निकालने ही न दो. इसी तरह अब देश, हिंदू, आज के शासकों पर कुछ न कहो.

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के एक बयान कि इस देश में रहने से डर लगता है, पर शोर मच रहा है. नसीरुद्दीन द्वारा कही बात को तोड़मरोड़ कर पेश करने पर.

कोई नसीरुद्दीन को देश छोड़ने की सलाह दे रहा है, कोई उन के लिए पाकिस्तान का टिकट बुक करवा रहा है, कोई उन को गद्दार का सर्टिफिकेट जारी कर रहा है, जैसे कि यह देश सिर्फ इन भगवाभक्तों का ही है.

यह है मूल बयान

नसीरुद्दीन शाह ने जो कहा था वह यह है, ‘‘मुझे फिक्र होती है अपनी औलाद के बारे में सोच कर. क्योंकि उन का मजहब ही नहीं है. मजहबी तालीम मुझे मिली थी. रत्ना को थोड़ी कम मिली थी. हम दोनों ने अपने बच्चों को मजहबी तालीम बिलकुल नहीं दी. मेरा मानना है कि अच्छाई और बुराई का मजहब से कोई लेनादेना नहीं है.

‘‘फिक्र होती है मुझे अपने बच्चों के बारे में, क्योंकि कल को अगर उन को एक भीड़ ने घेर लिया कि तुम हिंदू हो या मुसलमान. उन के पास कोई जवाब ही नहीं होगा. इस बात की फिक्र होती है क्योंकि हालात जल्दी सुधरते तो मुझे नजर नहीं आ रहे. इन बातों से मुझे डर नहीं लगता, गुस्सा आता है. मैं चाहता हूं कि सही सोच वाले इंसान को गुस्सा आना चाहिए, डर नहीं लगना चाहिए.

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