मंडी टैक्स के नाम पर देशभर की मंडियों में किसानों के साथ लूट की जा रही है. मुरादाबाद की सब्जी मंडी का एक सीन:
मंडी में एक आढ़ती के यहां आलू की नीलामी चल रही है. आलू कन्हैयालाल नाम के किसान का है. पास में वरदी पहने 2 आदमी खड़े हैं. ये वरदी वाले मंडी समिति के मुलाजिम हैं.
एक बोली लगाता है और दूसरा परची बनाता है.
‘‘नया आलू 200 रुपए क्विंटल,’’ वरदी वाले एक मुलाजिम ने बोली लगाई. आसपास कुछ कारोबारी खड़े हैं. वे कन्हैयालाल के आलू हाथ में उठा कर परख रहे हैं.
एक कारोबारी ने बोली लगाई, ‘‘280 रुपए क्विंटल.’’
यह उन कारोबारियों में से है जिन्होंने मंडी समिति में अपना रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है. मंडी में जो कारोबारी रजिस्टर्ड होते हैं, वे ही बोली में भाग ले सकते हैं.
मुलाजिम ने चिल्ला कर कहा, ‘‘280 एक, 280 दो...’’ इतने में एक और कारोबारी बोला, ‘‘285 रुपए क्विंटल.’’
इस तरह बोली बढ़ती गई. कुछ देर बाद गुन्नू सेठ ने 310 रुपए की बोली लगाई. मंडी समिति का एक मुलाजिम चिल्लाया, ‘‘310 एक, 310 दो, 310 तीन.’’
310 रुपए नीलामी की आखिरी बोली हो गई. आखिरी बोली के बाद समिति के मुलाजिम ने गुन्नू सेठ को परची काट कर थमा दी.
कन्हैयालाल और गुन्नू सेठ ने कांटे पर आलू तुलवाए. 10 बोरी यानी 10 क्विंटल आलू तुले. आलू तुलवाने के बाद गुन्नू सेठ ने परची में लिखे भाव व वजन के मुताबिक बिल बनाया और कन्हैयालाल को रुपए दिए.
कन्हैयालाल के आलू की बिक्री 310 रुपए प्रति क्विंटल पर तय हुई थी, पर एक दूसरे किसान रिंकू ने अपने आलू के लिए 300 रुपए प्रति क्विंटल ही लिए. इस तरह सब किसानों के आलू की नीलामी के भाव अलगअलग बोलियों पर तय हुए.