सत्ता से गलबहियां करना मीडिया का काम नहीं है. मगर, आज मीडिया खुद सवालों में घिरा है. सत्ता ने डराओ, धमकाओ, मारो और राज करो की नीति के तहत मीडिया की कमर तोड़ दी है. उस ने उस की स्वतंत्रता छीन ली है. जो बिका उसे उस ने खरीद लिया, जो नहीं बिका उस का दम निकाल दिया.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में ‘फेक न्यूज अवार्ड्स’ की घोषणा की. अपने खिलाफ अमेरिकी अखबारों में छपने वाली खबरों को झूठी और भ्रामक बताना शुरू कर दिया. अमेरिकी मीडिया की धज्जियां उड़ाने के लिए बाकायदा अवार्ड्स घोषित कर दिए. अपने गुनाह छिपाने के लिए ट्रंप ने ‘सब से भ्रष्ट और बेईमान’ कवरेज के लिए अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयौर्क टाइम्स को विजेता घोषित किया. एबीसी न्यूज, सीएनएन, टाइम और वाश्ंिगटन पोस्ट को भी इन अनोखे अवार्ड्स में जगह दी और यह साबित करने की कोशिश की कि ये तमाम मीडिया हाउस वाले सरकार के बारे में सिर्फ गलत ही लिखतेछापते हैं. उन्होंने विजेताओं की सूची बाकायदा रिपब्लिकन नैशनल कमेटी की वैबसाइट पर भी जारी की. जनता की आवाज दबाने का कितना शर्मनाक तरीका है यह. मीडिया पर इस तरह का हमला आश्चर्यजनक है.

गौरतलब है कि ट्रंप हमेशा से अपने ट्वीट्स और बड़बोलेपन को ले कर चर्चित रहे हैं. वे हमेशा से मीडियाविरोधी हैं. अपने चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने जम कर फेक न्यूज शब्द का इस्तेमाल किया था. राष्ट्रपति बनने के बाद से वे लगातार मीडिया हाउसों और उन के मालिकोंसंपादकों पर निशाना साधते रहे हैं. आजकल वे अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयौर्क टाइम्स के संपादक ए जी सल्जबर्जर के पीछे पड़े हुए हैं. वे प्रिंट मीडिया और जर्नलिज्म पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. वे मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं और उसे एक मरता हुआ उद्योग करार देते हैं.

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