मनुष्य के किडनी और लीवर जैसे अंग कई कारणों से खराब हो जाते हैं. ये ऐसे अंग हैं, जिन के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती.

संगीता मूलरूप से बांदा जिले के तिंदवारी कस्बे से सटे गांव बड़ी पिपराही की रहने वाली थी.

कानपुर शहर में वह अपने पति राजेश कश्यप के साथ साकेत नगर स्थित प्लास्टिक गोदाम में रहती थी. राजेश कश्यप इलैक्ट्रीशियन था. वह किदवई नगर में बिजली की एक दुकान में काम करता था. इस काम से होने वाली आय से वह परिवार का खर्च चलाता था.

राजेश कश्यप का एक दोस्त श्याम तिवारी उर्फ श्यामू था. पेशे से ड्राइवर श्यामू जूहीलाल कालोनी में रहता था. दोस्त होने की वजह से श्यामू का उस के घर आनाजाना बना रहता था. एक दिन श्याम तिवारी एक व्यक्ति के साथ उस के यहां आया. श्यामू ने उस का परिचय अपने दोस्त मोहित निगम के रूप में दिया और बताया, ‘‘यह नौबस्ता के हनुमंत विहार में रहता है. इस के घर पर बिजली का कुछ काम होना है, तुम कर देना.’’

राजेश कश्यप हंस कर बोला, ‘‘श्यामू भाई, मोहित तुम्हारा दोस्त तो मेरा भी दोस्त है. बिजली का जो भी काम होगा, मैं कर दूंगा.’’

राजेश ने उन दोनों की खातिरदारी की. इतना ही नहीं, राजेश की पत्नी संगीता ने उन्हें बिना खाना खाए नहीं जाने दिया. खाना खाने के बाद श्यामू और मोहित ने संगीता के बनाए खाने की बहुत तारीफ की. दूसरे दिन राजेश मोहित निगम के घर गया और बिजली का काम कर आया. इस के बाद मोहित का भी राजेश के यहां आनाजाना होने लगा.

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