इसी साल 20 सितंबर की बात है. करण पटेल अपनी टोयोटा इटिओस कार से दिल्ली से अहमदाबाद जा रहा था. उस के आगे की सीट पर गजेंद्र राठौड़ बैठा हुआ था. कार करण पटेल चला रहा था.

करण गुजरात के मेहसाणा के रामपुरा गांव का रहने वाला था. वह गुजरात के अहमदाबाद की पी. विजय कुमार कंपनी में ड्राइवर था. यह कंपनी व्यापारियों का कैश कलेक्शन और मनी ट्रांसफर का काम करती थी. गुजरात में इस तरह का काम करने वालों को आंगडि़या कहते हैं. कंपनी में रोजाना करोड़ों रुपए का लेनदेन होता था. गजेंद्र राठौड़ भी इसी कंपनी में काम करता था और करण का साथी था.

उस दिन शाम करीब 6 बजे करण ने दिल्ली के चांदनी चौक से एक व्यापारी से पेमेंट ली थी. यह रकम गत्तों के कार्टन में भरी थी. हालांकि व्यापारी ने करण को यह नहीं बताया था कि रकम कितनी है, लेकिन व्यापारी की बातचीत से करण और उस के साथी गजेंद्र को यह पता चल गया था कि रकम करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए है. करण को यह रकम अहमदाबाद स्थित अपनी कंपनी में पहुंचानी थी.

सड़क मार्ग से जाया जाए तो दिल्ली से अहमदाबाद का रास्ता बहुत लंबा है. कार से दिल्ली से रवाना हो कर पूरा राजस्थान पार करते हुए अहमदाबाद पहुंचने में लगभग 17 से 18 घंटे लग जाते हैं. करण के लिए यह कोई नई बात नहीं थी. वह पहले भी कई बार कार से दिल्ली से अहमदाबाद आताजाता रहा था. इस दौरान वह लगभग हर बार कंपनी की मोटी रकम लाता, ले जाता था. रकम हर बार करोड़ों में ही होती थी.

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