Women's Rights : आज हर जगह फिर चाहे वह घर परिवार हो या नौकरी लड़कियों को ज्यादा तवज्जों दी जा रही है. क्योंकि कानून ने महिलाओं को ये हक दिया है कि वे किसी से कम नहीं है. आज की नारी अबला नहीं है बल्कि वह आत्मविश्वास से भरी हुई वह नारी है जो कुछ भी कर सकती है. ये सब कुछ कानून की मदद से ही संभव हो पाया है. आइए जाने कैसे.

 

धरती के इस छोर से उस छोर तक

मुट्ठी भर सवाल लिए मैं

छोड़ती हांफती भागती

तलाश रही हूं सदियों से निरंतर

अपनी जमीन, अपना घर

अपने होने का अर्थ!

 

भारतीय समाज में नारी की स्थिति को बखूबी बयां करती निर्मला पुतुल की ये पंक्तियां पूरे समाज की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती रही हैं.

लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में जो कानून पारित हुए उस ने महिलाओं की इस स्थिति को लगभग पूरी तरह बदलने का काम किया है. महिलाओं का उत्पीड़न रोकने और उन्हें हक दिलाने के लिए इन कानूनों ने बहुत कुछ ऐसा किया है जिस से महिलाएं भी आज पुरुषों से कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं.

 

इसी का नतीजा है अब लगभग हर घर में फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब लड़कियों को लड़कों के बराबर प्यार और सम्मान दिया जाने लगा. जैसे कि अभी हाल ही में दिल्ली के पीतमपुरा में घटित हुई वह घटना जिस में एक नौजवान ने अपने मातापिता की एनिवर्सरी वाले दिन अपने पेरेंट्स और अपनी बहन की हत्या कर दी क्योंकि उसे लगता था कि मातापिता बेटी को ज्यादा प्यार करते हैं और उन्होंने बेटी को संपत्ति में हिस्सेदार बनाया हुआ था.

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