चेहरे पर झुर्रियां, कंपकंपाती आवाज, आंखों पर मोटा चश्मा और बिना सहारे ठीक से चल पाने में असमर्थ 75 साल की एक बूढ़ी महिला को जिंदगी के आखिरी पड़ाव में जब सहारे की सख्त जरूरत थी तब उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. न्याय पाने के लिए पिछले 15 साल से कोर्टकचहरी के चक्कर लगाती उस बूढ़ी महिला की आंखों में उम्मीद की एक भी किरण अब नजर नहीं आती. हां, आंखों से आंसुओं की धार जरूर बहती है.

यह बूढ़ी महिला बेबस जिंदगी गुजार रही है. उस में जीने के लिए मोह नहीं है. मोह हो भी तो कैसे क्योंकि इस विधवा ने एकचौथाई जीवन तो पुलिसथानों व अदालतों के चक्कर काटतेकाटते गुजार दिया है. उस की बूढ़ी हड्डियों में अब इतनी जान नहीं है कि वह कोर्टकचहरी के चक्कर लगाती फिरे.

यह सचाई है जयपुर के चाकसू इलाके के कोटखावदा गांव की रहने वाली नर्बदा देवी की, जो 75 साल की हो चुकी है और पिछले 15 साल से दहेज उत्पीड़न के मामले में कोर्ट के चक्कर लगा रही हैं. नर्बदा देवी को दिल की बीमारी है. उस के जोड़ों में भी दर्द रहता है. जिस की वजह से वह ठीक से उठबैठ भी नहीं पाती. आंखों से दिखना भी कम हो गया है. 2 साल पहले ही उसे लकवे का अटैक पड़ चुका है, जिस से उस का दाहिना हाथ ठीक से काम नहीं करता.

नर्बदा के खिलाफ जो दहेज उत्पीड़न का मामला था उस की सुनवाई तकरीबन 15 साल से चल रही है. जब यह घटना घटी थी, उस समय नर्बदा की उम्र 60 साल रही होगी.

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